इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) क्या है? फायदे और नुकसान – (IoT In Hindi)

What Is Internet Of Things In Hindi: आज के इस लेख में हम आपको इंटरनेट ऑफ थिंग्स के बारे में जानकारी देने वाले है। इस लेख में आप जानेगे की इंटरनेट ऑफ थिंग्स क्या है, इसके फायदे और नुकसान क्या है। अगर आप भी इसके बारे में जांनना चाहते है तो इस लेख को अंत तक जरूर पड़े। तो चलिए, शुरू करते हैं –

इंटरनेट ऑफ थिंग्स टेक्नोलॉजी का विकास है जिसमें नेटवर्किंग के माध्यम से कई गैजेट्स को एक साथ जोड़ा जाएगा। इंटरनेट ऑफ थिंग्स को IoT भी कहा जाता है। इसमें सभी गैजेट् आपस में जुड़कर एक दूसरे को डाटा का आदान प्रदान करते हैं। जिससे सभी डिवाइसेज के बीच इंटीग्रेशन आता है।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स के आने से भविष्य में ऐसे स्मार्ट होम होंगे। जिनमें सभी डिवाइस एक-दूसरे से जुड़े रहेंगे। मान लीजिए आप अपने घर से बिना टीवी और दरवाजा बंद किए निकल गए।

ऐसे में कंबाइन स्मार्ट होम का आर्टिफिशियल ब्रेन होगा। वह इस चीज को भांपते हुए वह अपने आप घर का दरवाजा और टीवी बंद कर देगा। यह जानकारी आपके फोन पर भी आएगी। सभी तकनीक डिवाइस के मध्य जो ये इंटीग्रेशन है। यही इंटरनेट ऑफ थिंग्स है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स शब्द का प्रयोग सबसे पहले केविन एश्टन ने किया था।

इसके अलावा भविष्य में इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर बड़ी कंपनियां भी चलेंगी। इंटरनेट ऑफ थिंग्स के आने से हमारा काम काफी आसान हो जाएगा। इस तकनीक के आने से हमारा जीवन स्तर भी काफी ऊंचा होगा।

इस तकनीक के कई नुकसान भी हैं। आज के दौर में इंटरनेट के आने के बाद प्राइवेसी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। जबकि भविष्य में इंटरनेट ऑफ थिंग्स से सब कुछ इंटरनेट से जुड़ जाएगा। ऐसे में आपकी प्राइवेसी के पब्लिक होने का खतरा भी काफी बढ़ जाएगा। इसके अलावा इंटरनेट ऑफ थिंग्स के आने के बाद बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां भी चली जाएंगी।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स क्या है? (IoT In Hindi)

इंटरनेट ऑफ थिंग्स का संक्षिप्त नाम IoT है। इसका इस्तेमाल सेंसर, सॉफ्टवेयर और टेक्नोलॉजी की मदद से डेटा को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स का अर्थ है – इंटरनेट का उपयोग करके डिवाइस को एक्सेस और कंट्रोल करना। इंटरनेट ऑफ थिंग्स के जरिए हम इंटरनेट की मदद से डिवाइसेज को एक्सेस और कंट्रोल कर सकते हैं।

दूसरे शब्दों में – वे सभी भौतिक उपकरण जो इंटरनेट से जुड़े हैं और जो डेटा एकत्र और साझा करते हैं। आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) कहलाते हैं।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स में थिंग्स का अर्थ है – इंटरनेट से जुड़ी वे सभी चीजें जो हम अपने जीवन में प्रतिदिन उपयोग करते हैं जैसे – मोबाइल फोन, स्मार्ट घड़ी, पंखा और कार आदि। इन सभी चीजों को हम इंटरनेट से कनेक्ट करके एक्सेस कर सकते हैं।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स का उपयोग संगठन और उद्योग में काम में तेजी लाने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, समय पर काम पूरा करने के लिए, ग्राहक को अच्छी सेवा प्रदान करने के लिए।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स काम कैसे करता है? (How Does Internet Of Things Work In Hindi)

हम सभी रोजमर्रा की जिंदगी में इंटरनेट ऑफ थिंग्स का इस्तेमाल करते हैं लेकिन ज्यादातर लोग इस बात से अनजान हैं कि यह कैसे काम करता है। आपको बता दें कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स विभिन्न तकनीकों के समन्वय से संपन्न होता है, जिसमें इंटरनेट का सबसे अधिक योगदान होता है। यहां आपको इंटरनेट ऑफ थिंग्स की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी प्रदान की गई है –

सेंसर – इंटरनेट ऑफ थिंग्स का उपयोग करने के लिए, डिवाइस पर स्थापित सेंसर के माध्यम से पहले आसपास के वातावरण से आवश्यक डेटा एकत्र किया जाता है। जैसे फिटनेस वॉच के माध्यम से व्यक्ति के रक्तचाप या हृदय गति से संबंधित जानकारी।

डेटा ट्रांसफर – स्मार्ट डिवाइस द्वारा सेंसर द्वारा प्राप्त डेटा को इकट्ठा करने के पश्चात, इसे आईओटी सिस्टम में भेजा जाता है जिसके माध्यम से इस डेटा को ट्रांसफर किया जा सके।

डेटा विश्लेषण – डेटा का विश्लेषण करने के लिए इसे क्लाउड पर भेजा जाता है जहां डिवाइस द्वारा प्राप्त डेटा संग्रहीत किया जाता है। क्लाउड के माध्यम से ही सॉफ्टवेयर द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल की सहायता से डेटा का विश्लेषण किया जाता है और आवश्यक कार्रवाई के लिए उपयोगकर्ता को भेजा जाता है।

यूजर इंटरफेस – डेटा विश्लेषण के बाद, इसे उपयोगकर्ता के मोबाइल या अन्य संबंधित डिवाइस पर भेजा जाता है ताकि आवश्यक कार्रवाई की जा सके। हालाँकि, आज के अधिकांश इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (IoT) उपकरण डेटा का विश्लेषण करते हैं और इसके लिए आवश्यक कार्रवाई करते हैं, जैसे किसी मशीन का ताप या दाब अधिक होने पर समायोजित करना। लेकिन कुछ क्रियाएं जैसे कि जब किसी व्यक्ति का रक्तचाप या दिल की धड़कन बढ़ जाती है, तो इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के तहत मोबाइल या डिवाइस के माध्यम से संदेश भेजकर व्यक्ति को सतर्क कर दिया जाता है ताकि उपयोगकर्ता द्वारा आवश्यक कार्रवाई की जा सके।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स के फायदे (Advantages Of Internet Of Things In Hindi)

  • आईओटी तक पहुंचना बहुत आसान है। आईओटी की मदद से हम दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर जरूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं। जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे पास इंटरनेट कनेक्शन और स्मार्ट डिवाइस की सुविधा होनी चाहिए। जिसकी मदद से हम किसी भी प्रकार की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
  • आईओटी डिवाइस में डेटा ट्रांसफर करने की स्पीड बहुत तेज होती है। ये डिवाइस बहुत तेज गति से डेटा को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में ट्रांसफर करते हैं। पुराने समय में 2G और 3G का इस्तेमाल डाटा ट्रांसफर करने के लिए किया जाता था। जिससे डाटा ट्रांसफर करने में काफी समय लगता था। इसी समस्या को हल करने के लिए 4G की शुरुआत की गई। जिससे एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में डेटा ट्रांसफर करना और भी आसान हो गया। और अब 5G भी भारत में लॉन्च हो गया है। जिसकी मदद से यूजर के लिए डाटा ट्रांसफर करना आसान हो जाएगा।
  • आईओटी व्यावसायिक खर्चों को कम करने में मदद करता है। जिससे व्यापार में होने वाला बहुत सारा खर्च काफी हद तक कम हो जाता है। आईओटी डिवाइस की मदद से उत्पाद और उपकरणों को बनाए रखना बहुत आसान है। जिससे आपको इन सब चीजों पर ज्यादा पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है।
  • आईओटी ऑटोमेशन को काफी बढ़ावा देता है। ऑटोमेशन का मतलब है कि इंसान को काम करने की कोई जरूरत नहीं है। आईओटी के उपकरण किसी भी कार्य को स्वतः पूर्ण करने में सक्षम होते हैं।
  • आईओटी में यूजर का समय बचता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आईओटी किसी भी काम को बहुत तेज गति से पूरा करने में सक्षम है। इसलिए बहुत समय बचता है। मशीनें इंसानों की तुलना में तेज गति से काम करने में सक्षम हैं।
  • आईओटी के इस्तेमाल से हम किसी भी तरह की चीज पर आसानी से नजर रख सकते हैं। उदाहरण के लिए, हवा की मात्रा को मॉनिटर करना आदि।
  • आईओटी ने वास्तव में लोगों के जीवन को बहुत आसान बना दिया है। आज के समय में लगभग सभी लोग आईओटी डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं। जिससे लोग अपना काम आसानी से पूरा कर पाते हैं। जैसे आजकल लोग स्मार्ट फोन, स्मार्ट टीवी, रेफ्रिजरेटर, ए.सी. और स्मार्ट कार जैसे डिवाइस का उपयोग करते हैं। इससे लोगों का जीवन आसान हो गया।
  • आईओटी की मदद से संसाधनों का पूरा उपयोग किया जा सकता है। क्योंकि इसमें मशीनों का इस्तेमाल किसी भी काम को पूरा करने के लिए किया जाता है। और मशीनें इंसानों से बेहतर संसाधनों का उपयोग करने में सक्षम हैं।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स के नुकसान (Disadvantages Of Internet Of Things In Hindi)

  • आईओटी का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसमें सुरक्षा का अभाव है। यानी यूजर का डेटा पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होता है। अधिकांश आईओटी डिवाइस इंटरनेट से जुड़े हैं। जिससे इन डिवाइसेज को हैकर्स हैक कर सकते हैं। जिससे हैकर्स यूजर का डाटा आसानी से चुरा सकते हैं।
  • आईओटी में तकनीक को डिजाइन करना, उन्हें विकसित करना और उन तकनीकों को बनाए रखना बहुत कठिन और जटिल है।
  • आजकल अधिकांश कार्य आईओटी-संचालित मशीनों द्वारा पूरे किए जाते हैं। जिससे श्रमिक कार्य की आवश्यकता नहीं पड़ती। जिससे बेरोजगारी बढ़ती है।
  • आज के समय में लगभग हर व्यक्ति पूरी तरह से आईओटी डिवाइस पर निर्भर हो गया है। यानी इंसान इन उपकरणों के बिना कोई काम नहीं कर सकता। छोटे से लेकर बड़े लोग इन पर निर्भर हो गए हैं। जो आने वाले समय में खतरनाक साबित हो सकता है।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स के अनुप्रयोग (Applications Of Internet Of Things In Hindi)

  • आईओटी मरीजों और डॉक्टरों दोनों के लिए बहुत उपयोगी है। इसके प्रयोग से रोगों का पता लगाया जाता है, रोग ठीक हो जाते हैं और आपात स्थिति में रोगी की जान भी बचाई जा सकती है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल दवाओं, मरीज और डॉक्टर के डेटा पर नजर रखने के लिए किया जाता है। आईओटी का उपयोग करके हम रोगी की नब्ज दर, दिल की धड़कन (हृदय गति) और फिटनेस की जांच कर सकते हैं।
  • आईओटी का इस्तेमाल खेती को स्मार्ट तरीके से करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग कृषि में फसलों और खेतों की गुणवत्ता की जांच के लिए किया जाता है।क्योंकि अच्छी फसल के लिए खेत की मिट्टी की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए। इसलिए आईओटी का उपयोग करके इसकी गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। कुछ जानवर हैं जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं इसलिए हम आईओटी के माध्यम से इन जानवरों की आसानी से निगरानी कर सकते हैं।
  • घर को स्मार्ट बनाने के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स का भी इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के लिए, घरों की सुरक्षा करना। इसके अलावा इस तकनीक का इस्तेमाल कर यूजर अपने स्मार्टफोन, टैबलेट और कंप्यूटर की मदद से घर के दूसरे डिवाइसेज को कंट्रोल कर सकता है। उदाहरण के लिए, उपयोगकर्ता अपने मोबाइल से पंखे को चालू या बंद कर सकता है। अगर घर में आग लगती है, तो आईओटी डिवाइस अपने आप अलार्म बजाएगा जिससे आपको तुरंत पता चल जाएगा।
  • स्मार्ट सिटी बनाने के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग शहर के यातायात के प्रबंधन के लिए, कचरे के प्रबंधन के लिए, जल वितरण के लिए और बिजली के प्रबंधन के लिए किया जाता है।
  • आईओटी का इस्तेमाल वेयरेबल्स में किया जाता है। जैसे स्मार्ट वॉच, हार्ट रेट मॉनिटर, फिट बिट्स और जीपीएस ट्रैकिंग बेल्ट आदि। गूगल, ऐप्पल और सैमसंग जैसी बड़ी कंपनियां इन उपकरणों को विकसित करती हैं। उपयोगकर्ता अपने दैनिक जीवन में स्मार्ट वॉच, हार्ट रेट मॉनिटर, फिट बिट्स और जीपीएस ट्रैकिंग बेल्ट जैसे उपकरणों का उपयोग करते हैं। अधिकांश पहनने योग्य उपकरणों का आकार बहुत छोटा होता है। जिसके कारण ये उपकरण बहुत अधिक ऊर्जा की खपत नहीं कर पाते हैं।उदाहरण के लिए एक फिटनेस ट्रैकर, यह पहनने योग्य उपकरण है। जो मानव शरीर की शारीरिक गतिविधियों पर नजर रखता है। इसके अलावा यह डिवाइस मानव शरीर के संकेतों को आसानी से समझ सकती है।
  • आईओटी का उपयोग यातायात की निगरानी के लिए भी किया जाता है। आईओटी में ऐसे टूल्स हैं। जिसके इस्तेमाल से यूजर आसानी से ट्रैफिक पर नजर रख सकता है।गूगल मैप की तरह। इस टूल की मदद से कोई भी व्यक्ति आसानी से ट्रैफिक का पता लगा सकता है। यानी किस जगह पर कितना ट्रैफिक मौजूद है। इसके अलावा वाहनों की गति का पता लगाने के लिए आईओटी का उपयोग किया जाता है। यानी कार किस स्पीड से जा रही है? जो लोग ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते हैं। कंप्यूटर की मदद से उनका चालान अपने आप कट जाता है। और उनके घर पहुंच जाता हैं। यह सुविधा आईओटी की वजह से संभव हो पाई है।
  • आईओटी का उपयोग बैंकिंग क्षेत्र में भी किया जाता है। आज के समय में घर बैठे कोई भी व्यक्ति आसानी से अपना पैसा एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर कर सकता है। पैसे ट्रांसफर करने के लिए बैंकों में जाने की जरूरत नहीं है। और यह सब आईओटी की वजह से संभव हो पाया है। इसके अलावा आईओटी का इस्तेमाल मोबाइल रिचार्ज से लेकर समान खरीदारी करने तक किया जाता है। यानी आईओटी की वजह से हर तरह का ऑनलाइन काम संभव है।
  • आईओटी का इस्तेमाल घर, ऑफिस, एयरपोर्ट आदि पर सर्विलांस के लिए किया जाता है जिससे इन सभी जगहों पर अच्छी सुरक्षा मुहैया कराई जा सके। ताकि लोग और उनका सामान पूरी तरह सुरक्षित हो सके। इसका सबसे अच्छा उदाहरण सीसीटीवी कैमरा है। इसकी मदद से आप आसानी से लोगों पर नजर रख सकते हैं. और आप उनकी गतिविधियों को भी देख सकते हैं।
  • इसका उपयोग आपदा प्रबंधन के लिए भी किया जाता है। इसका उपयोग एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में डेटा ट्रांसफर करने के लिए भी किया जाता है। इसका उपयोग डेटा का विश्लेषण करने के लिए भी किया जाता है।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स नेटवर्क के प्रकार (Types Of Internet Of Things Network In Hindi)

LPWANs

LPWANs को लो पावर वाइड एरिया नेटवर्क भी कहा जाता है। जिसका उपयोग लंबी दूरी के संचार के लिए किया जाता है। साथ ही इसका उपयोग सभी प्रकार के आईओटी सेंसर को डिवाइस से जोड़ने के लिए किया जाता है। एलपीडब्ल्यूएएन की मदद से वस्तुओं को ट्रैक किया जा सकता है। इसके अलावा वातावरण में हो रही घटनाओं पर भी नजर रखी जा सकेगी।

एलपीडब्ल्यूएएन के लाभ – एलपीडब्ल्यूएएन लंबी दूरी के संचार में मदद करते हैं। यह ज्यादा ऊर्जा का उपयोग नहीं करता है। यह कम बिजली की खपत करता है। यह बहुत महंगा नहीं है।

एलपीडब्ल्यूएएन के नुकसान – यह केवल कम डेटा दर का समर्थन करता है इसलिए इसे उच्च डेटा दर एप्लीकेशन में उपयोग नहीं किया जा सकता है। यह कम विलंबता एप्लीकेशन के लिए उपयुक्त नहीं है।

Cellular Network

सेलुलर एक तरह का नेटवर्क है। जिसका इस्तेमाल यूजर को बेहतर वॉयस कॉल और वीडियो स्ट्रीमिंग की सुविधा देने के लिए किया जाता है। जिससे यूजर आसानी से लाइव वीडियो देख सकता है। इसके अलावा, वस्तुओं को ट्रैक करने के लिए सेलुलर का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए कार में संगीत सुनना और सड़क पर यातायात देखना।

सेलुलर नेटवर्क के लाभ – सेलुलर नेटवर्क यूजर को वॉयस और डेटा सर्विस मुहैया कराता है। जिससे यूजर को वॉयस कॉल और वीडियो स्ट्रीमिंग की सुविधा मिलती है। सेलुलर नेटवर्क को मेन्टेन रखना बहुत आसान है। सेलुलर नेटवर्क बहुत अधिक ऊर्जा की खपत नहीं करते हैं। यानी इसमें बिजली की खपत कम होती है।

सेलुलर नेटवर्क के नुकसान – सेलुलर नेटवर्क के बुनियादी ढांचे को स्थापित करने में उपयोगकर्ता को अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है। सेलुलर नेटवर्क वायरलेस नेटवर्क हैं। तो अगर वातावरण खराब है। तो यह सेलुलर नेटवर्क को प्रभावित कर सकता है। सेलुलर नेटवर्क वायर्ड नेटवर्क की तुलना में कम डेटा ट्रांसफर करते हैं।

Zigbee

ज़िगबी एक प्रकार की वायरलेस तकनीक है। जिसका उपयोग वायरलेस डिवाइस से वायरलेस डिवाइस में डेटा ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। ज़िगबी के सेटअप में यूजर को ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना पड़ता है। और ज़िगबी बहुत अधिक ऊर्जा की खपत भी नहीं करता है। ज़िगबी को आईओटी नेटवर्क की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी बनाया गया है।

ज़िगबी के फायदे – ज़िगबी तकनीक को सेट करना यूजर के लिए बहुत आसान है। ज़िगबी को उपयोगकर्ता द्वारा आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। ज़िगबी तकनीक बहुत महंगी नहीं है।

ज़िगबी के नुकसान – ज़िगबी की संचरण दर बहुत कम होती है। यानी डेटा ट्रांसफर करने में काफी समय लगता है। ज़िगबीज्यादा दूरी तय नहीं कर पाते हैं। इसका मतलब है कि डेटा को लंबी दूरी पर स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। ज़िगबी तकनीक उपयोगकर्ता के लिए मेन्टेन रखना बहुत मुश्किल है।

Bluetooth

ब्लूटूथ एक वायरलेस नेटवर्क है। जिसका इस्तेमाल डाटा और फाइल्स को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। ब्लूटूथ पैन (पर्सनल एरिया नेटवर्क) की श्रेणी में आता है। जिसका अर्थ है कि ब्लूटूथ नेटवर्क का उपयोग सीमित क्षेत्र में डेटा और फ़ाइलों को स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है। इसकी रेंज करीब 100 मीटर है।

ब्लूटूथ के लाभ – ब्लूटूथ की मदद से डेटा और फाइल्स को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में आसानी से ट्रांसफर किया जा सकता है। इसकी मदद से इंटरनेट को एक्सेस किया जा सकता है। ब्लूटूथ अधिक मात्रा में ऊर्जा की खपत नहीं करता है।

ब्लूटूथ के नुकसान – यह केवल 100 मीटर की दूरी तक ही डाटा ट्रांसफर कर सकता है। जिससे यूजर को डाटा और फाइल ट्रांसफर करने के लिए 100 मीटर के दायरे में रहना पड़ता है। इसे हैकर आसानी से हैक कर सकता है।

Wi-Fi

वाई-फाई एक प्रकार की वायरलेस तकनीक है। जिसका उपयोग कंप्यूटर, मोबाइल और टैबलेट जैसे उपकरणों को इंटरनेट से कनेक्ट करने के लिए किया जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो यूजर वाई-फाई की मदद से अपने डिवाइस पर आसानी से इंटरनेट एक्सेस कर सकता है।

वाई-फाई तकनीक एक सीमित क्षेत्र को कवर करने के लिए है। किसी डिवाइस को इंटरनेट से जोड़ने के लिए वाई-फ़ाई आस-पास की तकनीक और रेडियो सिग्नल का उपयोग करता है।

वाई-फाई के लाभ – इसे इस्तेमाल करना किसी भी यूजर के लिए आसान है। इसे सेटअप करना बहुत आसान है। यह अच्छी मात्रा में सुरक्षा प्रदान करता है। यानी वाई-फाई में यूजर का डेटा पूरी तरह से सुरक्षित है।

वाई-फाई के नुकसान – वाई-फाई की रेंज सीमित है। यानी यूजर को इंटरनेट एक्सेस करने के लिए एक दायरे में रहना पड़ता है। वाई-फाई को कंट्रोल करना यूजर के लिए काफी मुश्किल होता है।

RFID

RFID को रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन भी कहा जाता है। जिसका उपयोग डेटा संचारित करने के लिए किया जाता है। RFID डेटा संचारित करने के लिए रेडियो सिग्नल का उपयोग करता है। इसके अलावा RFID का इस्तेमाल रियल टाइम डेटा को ट्रैक करने के लिए भी किया जाता है।

आरएफआईडी के लाभ – इसकी मदद से रियल टाइम डेटा को ट्रैक किया जा सकता है। इसमें यूजर का डाटा सुरक्षित रहता है।

आरएफआईडी के नुकसान – यह तकनीक बहुत महंगी है। इसे सेटअप होने में काफी समय लगता है।

FAQs

IoT का फुल फॉर्म क्या है?
IoT का फुल फॉर्म इंटरनेट ऑफ थिंग्स है।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स का संक्षिप्त नाम क्या है?
इंटरनेट ऑफ थिंग्स का संक्षिप्त नाम IoT है।

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निष्कर्ष

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