Compiler Meaning In Hindi: कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए दो तरह की लैंग्वेज होती हैं – लो लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज और हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज।
जैसा कि आप जानते हैं कंप्यूटर केवल मशीन भाषा को समझता है और मशीनी भाषा में प्रोग्रामिंग संभव नहीं है, इसलिए प्रोग्रामिंग करने के लिए पहले असेंबली भाषा बनाई गयी जो एक लो लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। इसे मशीनी भाषा में बदलने या अनुवाद करने के लिए एक प्रोग्राम बनाया गया, जिसे असेम्बलर कहते हैं।
इसी तरह, हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज भाषा जैसे बेसिक, सी, सी++, जावा आदि को भी मशीन भाषा में अनुवाद करने की आवश्यकता होती है ताकि कंप्यूटर इसे समझ सके। कम्पाइलर वह प्रोग्राम होता है जो किसी हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में लिखे गए प्रोग्राम को किसी मशीन भाषा में परिवर्तित करता है।
C++, Java जैसी उच्च स्तरीय कंप्यूटर भाषाओं में लिखे गए प्रोग्राम को सोर्स कोड कहा जाता है, कंपाइलर इन सोर्स कोड को ऑब्जेक्ट कोड में बदल देता है। ऑब्जेक्ट कोड बाइनरी कोड है जिसे कंप्यूटर द्वारा समझा जा सकता है या आसान शब्दों में कहे तो कम्पाइलर उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (हाई लेवल प्रोग्रामिंग) को निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (लो लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज) में बदलने का काम करता है।
तो आज के इस लेख में हम आपको कम्पाइलर क्या होता है, कम्पाइलर कैसे काम करता है, कम्पाइलर का मतलब, कंपाइलर की विशेषताएं क्या है, कम्पाइलर के फायदे और नुकसान क्या है, साथ ही कंपाइलर और इंटरप्रेटर में अंतर भी बताने जा रहे है।
अगर आप इन सभी उपरोक्त जानकारी के बारे में जानना चाहते है तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े। तो चलिए शुरू करते है और जानते है की कम्पाइलर क्या है (Compiler Kya Hai In Hindi)
कंपाइलर क्या है? (What Is Compiler In Hindi)
कम्पाइलर एक ट्रांसलेटर प्रोग्राम होता है जो हाई लेवल लैंग्वेज में लिखे प्रोग्राम को कंप्यूटर लैंग्वेज यानी मशीन लैंग्वेज या बाइनरी लैंग्वेज में बदल देता है।
कंपाइलर पहले पूरे प्रोग्राम को एक साथ स्कैन करता है। और साथ ही साथ पूरे प्रोग्राम को मशीन भाषा में परिवर्तित कर देता है। यानी कंपाइलर प्रोग्रामर द्वारा लिखे गए पूरे प्रोग्राम को एक साथ स्कैन करके मशीनी भाषा में बदल देता है।
इसे हम एक उदाहरण से समझते है – अगर हमें किसी ऐसे व्यक्ति से बात करनी है जो हमारी भाषा नहीं जानता है और हम भी उसकी भाषा नहीं जानते हैं। लेकिन अगर हम उससे बात करना चाहते हैं तो ऐसे में हमें किसी तीसरे व्यक्ति की आवश्यकता होगी। जो दोनों भाषाओं को जानता हो और हमारी भाषा का अनुवाद करके उसे बता सके और उसकी भाषा का अनुवाद करके हमें बता सके, ताकि हम दोनों तीसरे व्यक्ति की मदद से अपनी बातचीत कर सकें।
तो यहाँ तीसरे व्यक्ति ने जो हमारी मदद की, कंपाइलर हमारे लिए यही काम करता है और हाई लेवल लैंग्वेज में लिखे प्रोग्राम को कंप्यूटर के समझने योग्य भाषा, बाइनरी लैंग्वेज (0,1) में बदल देता है।
कंपाइलर की परिभाषा (Compiler Definition In Hindi)
कंपाइलर एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो हाई लेवल लैंग्वेज में लिखे गए प्रोग्राम को बाइनरी लैंग्वेज या मशीन लैंग्वेज में बदल देता है। हाई लेवल लैंग्वेज को मशीनी लैंग्वेज में परिवर्तित करने की प्रक्रिया कंपाइलेशन कहलाती है।
कम्पाइलर का मतलब (Compiler Meaning In Hindi)
कम्पाइलर को हिंदी में संकलक कहा जाता है। कम्पाइलर एक ट्रांसलेटर प्रोग्राम है। जो हाई लेवल लैंग्वेज में लिखे प्रोग्राम को मशीन लैंग्वेज या बाइनरी लैंग्वेज में बदल देता है।
कम्पाइलर से सम्बंधित शब्द और मतलब | Compiler Related Words And Meanings In Hindi)
- Compiler System – कंपाइलर प्रणाली
- Compiler Includes – संकलक सहित
- Compiler Validation – कंपाइलर सत्यापन
- Compiler Error – कंपाइलर त्रुटि
- Compiler Optimizations – संकलक अनुकूलन
- Compiler Options – कंपाइलर विकल्प
- Compiler generates – कंपाइलर उत्पन्न करता है
- Compiler Directives – कंपाइलर निर्देश
- Compiler Construction – कंपाइलर निर्माण
- Compiler Design – कंपाइलर डिजाइन
कंपाइलर कैसे काम करता है? (How Does Compiler Works In Hindi)
कंपाइलर पहले पूरे प्रोग्राम को एक साथ स्कैन करता है और साथ ही साथ पूरे प्रोग्राम को मशीनी भाषा में परिवर्तित कर देता है। यानी कंपाइलर प्रोग्रामर द्वारा लिखे गए पूरे प्रोग्राम को एक साथ स्कैन करता है और उसे मशीनी भाषा में बदल देता है। और यदि कोई त्रुटि होती है, तो यह उसे डिबगिंग विंडो में प्रदर्शित करता है। जिसे हम स्टेप बाय स्टेप फिक्स कर सकते हैं और प्रोग्राम को फिर से कंपाइल करा सकते हैं। कंपाइलर प्रोग्राम के हर स्टेटमेंन्ट को इन्टरप्रेटर की तरह लाइन बाई लाइन ट्रान्सलेट नहीं करता है।
कंपाइलर द्वारा जनरेटेड ऑब्जेक्ट प्रोग्राम या ऑब्जेक्ट कोड मशीन (कंप्यूटर) पर निर्भर होता है। इसका मतलब है कि एक मशीन/कंप्यूटर पर कम्पाइल किया गया प्रोग्राम किसी अन्य मशीन/कंप्यूटर पर काम नहीं करेगा। इसलिए प्रत्येक कम्प्यूटर में एक विशेष भाषा में प्रोग्राम लिखने के लिए उस भाषा के लिए कम्पाइलर का होना आवश्यक है। मशीन की निर्भरता को खत्म करने के लिए प्रोग्राम हाई लेवल लैंग्वेज में लिखे जाते हैं।
कम्पाइलर के प्रकार (Types Of Compiler In Hindi)
कंपाइलर के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं: –
- Single-pass compiler
- Two-pass compiler
- Multi-pass compiler
कंपाइलर की विशेषताएं (Features Of Compiler In Hindi)
कंपाइलर की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- कंपाइलर की स्पीड अच्छी होती है।
- कंपाइलर के मशीन कोड बिल्कुल सही होती है।
- सोर्स कोड कितना भी बदल जाए, कोड का अर्थ नहीं बदलता है।
- त्रुटियों का अच्छी तरह पता लगाता है।
- व्याकरण के मुताबिक कोड की जाँच करता है।
कंपाइलर के फायदे (Advantages Of Compiler In Hindi)
- कम्पाइलर हाई लेवल लैंग्वेज में लिखे प्रोग्राम यानी सोर्स प्रोग्राम को एक साथ ही कंपाइल करके ऑब्जेक्ट प्रोग्राम या मशीन लेवल लैंग्वेज में बदलता है। यदि कोई त्रुटि है, तो यह उसे डिबगिंग विंडो में प्रदर्शित करता है, जिसे हम एक-एक करके ठीक कर सकते हैं। और प्रोग्राम को फिर से कंपाइल करा सकते हैं।
- कम्पाइलर ने प्रोग्रामर्स को हाई लेवल लैंग्वेज के उपयोग की सुविधा प्रदान की है, जो मशीन लैंग्वेज (बाइनरी लैंग्वेज) और असेंबली लैंग्वेज की कमियों को खत्म करता है जो हाई लेवल लैंग्वेज की तुलना में बहुत अधिक जटिल थी।
- कंपाइलर कोड को एक ही बार में ट्रांसलेट करता है।
- कंपाइलर कम समय लेता है।
- यह C, C++, JAVA जैसी कई हाई लेवल लैंग्वेज को सपोर्ट करता है।
कंपाइलर के नुकसान (Disadvantages Of Compiler In Hindi)
- कंपाइलर सोर्स प्रोग्राम को एक साथ कंपाइल करता है, इसलिए प्रोग्राम लिखने में लंबा समय लगता है।
- बड़े प्रोग्राम के मामले में, त्रुटि को ढूंढना और सुधारना बहुत कठिन और समय लेने वाला होता है।
- कंपाइलर लचीला नहीं है।
- कंपाइलर पोर्टेबल होना चाहिए जो कि नहीं है।
- कंपाइलर को अधिक स्थान की आवश्यकता होती है।
डिकंपाइलर क्या है? (What Is Decompiler In Hindi)
एक ऐसा कंपाइलर जो मशीनी भाषा को हाई लेवल नेचुरल लैंग्वेज में परिवर्तित करता है, उसे डीकंपाइलर कहा जाता है।
क्रॉस-कंपाइलर किसे कहते हैं? (What Is Cross-Compiler In Hindi)
कंपाइलर जो ऑब्जेक्ट कोड प्रोड्यूस करते हैं जो केवल सिस्टम में रन होने के लिए बने होते हैं, क्रॉस-कंपाइलर कहलाते हैं।
कंपाइलर और इंटरप्रेटर में अंतर (Difference between Compiler And Interpreter In Hindi)
कंपाइलर और इंटरप्रेटर दोनों ऐसे प्रोग्राम हैं जो हाई लेवल लैंग्वेज को मशीनी लैंग्वेज में परिवर्तित करते हैं ताकि इसे कंप्यूटर द्वारा समझा जा सके। हालाँकि कंपाइलर और इंटरप्रेटर के बीच अंतर भी हैं –
- एक कंपाइलर पूरे प्रोग्राम को एक साथ या बार में कंपाइल करता है। इंटरप्रेटर एक बार में कोड की एक पंक्ति लेता है।
- कंपाइलर एक मध्यवर्ती मशीन कोड जेनेरेट करता है। इंटरप्रेटर कभी भी कोई मध्यवर्ती मशीन कोड जेनेरेट नहीं करता है।
- इंटरमीडिएट ऑब्जेक्ट कोड बनाने के लिए लिए कंपाइलर को अधिक मेमोरी की आवश्यकता पड़ती है। इंटरप्रेटर को कम मेमोरी की जरुरत होती है।
- कंपाइलर का उपयोग प्रोग्रामिंग भाषा जैसे C, C++, C#, Java, Scala, आदि द्वारा किया जाता है। इंटरप्रेटर का उपयोग प्रोग्रामिंग भाषा जैसे Python, PHP, Ruby, Perl आदि द्वारा किया जाता है।
- कंपाइलर कंपाइलेशन के बाद सभी त्रुटियों को प्रदर्शित करता है, जो त्रुटि का पता लगाने और हटाने की प्रक्रिया को जटिल बनाता है। इंटरप्रेटर प्रत्येक पंक्ति की त्रुटियों को एक-एक करके प्रदर्शित करता है यदि कोई हो, जिससे त्रुटियों का पता लगाना और उन्हें दूर करना आसान हो जाता है।
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FAQs
कंपाइलर और इंटरप्रेटर क्या है?
कंपाइलर एक प्रकार का अनुवादक (ट्रांसलेटर) होता है जो सोर्स लैंग्वेज को ऑब्जेक्ट लैंग्वेज में परिवर्तित करता है। इंटरप्रेटर एक प्रकार का प्रोग्राम है जो सोर्स लैंग्वेज में ही काम करता है।
कंपाइलर किसे कहते हैं ?
कंपाइलर एक प्रकार का अनुवादक प्रोग्राम (ट्रांसलेटर) है।
कंपाइलेशन क्या है?
हाई लेवल लैंग्वेज को मशीनी लैंग्वेज में परिवर्तित करने की प्रक्रिया कंपाइलेशन कहलाती है।
कंपाइलर की परिभाषा क्या है?
कंपाइलर एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो हाई लेवल लैंग्वेज में लिखे गए प्रोग्राम को बाइनरी लैंग्वेज या मशीन लैंग्वेज में बदल देता है।
कंपाइलर को हिंदी में क्या कहते है?
कंपाइलर को हिंदी में संकलक कहते है।
उच्च स्तरीय भाषा क्या है?
एक उच्च-स्तरीय भाषा एक कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा है जिसे प्रोग्राम डेवलपमेंट के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एक ऐसी भाषा जिसे मनुष्य आसानी से समझ, लिख और पढ़ सकते हैं। प्रोग्रामर प्रोग्राम बनाते समय इस भाषा का उपयोग करता है।
निम्न-स्तरीय भाषा क्या है?
लो-लेवल लैंग्वेज एक कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है, इसमें न्यूमेरिकल कोड यानी 0 और 1 होते हैं। ये कोड कंप्यूटर के लिए आसानी से समझने योग्य होते हैं लेकिन मानव के लिए मुश्किल होते हैं। निम्न स्तर की भाषा का प्रयोग कंप्यूटर की दो पीढ़ियों, पहली पीढ़ी और दूसरी पीढ़ी में किया जाता है।
निष्कर्ष
उम्मीद है आपको हमारे यह लेख कम्पाइलर क्या है(Compiler Kya Hai In Hindi), कम्पाइलर कैसे काम करता है, कम्पाइलर का मतलब, कम्पाइलर के फायदे और नुकसान क्या है अच्छा लगा होगा।
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लेख के अंत तक बने रहने के लिए आपका धन्यवाद