हार को जीत में बदल देता है आपका एक निर्णय

मैदान में हारा हुआ फिर जीत सकता है, परंतु मन के हारे इंसान को कभी सफलता नहीं मिलती

चाणक्य ने इस कथन के जरिए समझाया है कि व्यक्ति को अपने मन को नियंत्रण में रखना बहुत जरूरी है। 

युद्ध के क्षेत्र में हार का सामना करना पड़े तो व्यक्ति दोबारा चुनौती स्वीकार कर उस असफलता को सफलता में बदल देता है। लेकिन अगर मन से हार गए तो वह कभी जीत नहीं सकता। 

इस उतार चढ़ाव भरे जीवन में जब व्यक्ति अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है तो रास्ते में उसे कई चैलेंज मिलते हैं।  

इन परेशानियों से घबराकर जो पहले ही हार मान लेते हैं वह कभी बुलंदियों को नहीं छू सकते। 

जीवन में जय और पराजय सिर्फ मन का भाव हैं। 

चाणक्य कहते हैं कि जब परेशानियों का दौर आए तो और हार नजर भी आ रही हो तो अपने मन पर काबू रखें और निरंतर अपने मंजिल की ओर बढ़ते रहें। 

जब व्यक्ति मंजिल के लिए जूझता है, बार-बार गिर कर खड़े होता है तो इससे उसका आत्मविश्वास कई गुना बढ़ जाता है। 

यही वह समय है जब मन से हार न माने और आगे बढ़ने का निर्णय लें। 

आपकी मेहनत और मंजिल को पाने की लगन हार को भी जीत में बदल देती है और इसके बाद जब सफलता मिलती है तो उसकी खुशी कई गुना होती है। 

जीत और हार कोई तय नहीं कर सकता ये आपके ऊपर निर्भर करता है कि कब सही निर्णय लेना है।