तप अर्थात तपस्या हमेशा अकेले और एकांत में करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि सांसारिक जीवन में कभी मन एकाग्रित नहीं किया जा सकता।
अंत में आचार्य बताते हैं की युद्ध में एक राष्ट्र या राज्य की रक्षा केलिए अनेक सैनिकों की आवश्यकता होती है। इससे विजय होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
जो व्यक्ति आचार्य चाणक्य की इन बातों को समझ लेता है वह सफलता की राह पर अपने आप चलने लगता है।