इन पुरुषों को घर की बजाय रहना चाहिए जंगल में 

चाणक्य ने घर में स्त्रियों की होने की अहमियत को बताया है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्री का घर में होना बेहद जरूरी होता है। 

क्योंकि बचपन से युवावस्था तक मां व्यक्ति का मार्गदर्शन करती है। उसे सही रास्ते पर चलने की सीख देती। 

ममता की छांव मकान को घर बनाती है। बिना माता के घर विरान हो जाता है। 

चाणक्य कहते हैं कि विरान घर में रहने से अच्छा है वन में चले जाएं, जहां आप प्रकृति माता की गोद में तो सुकून महसूस कर सकते हैं। 

चाणक्य ने जीवन में पत्नी की भूमिका का भी जिक्र किया है। वह कहते हैं कि अगर मां ना हो और सौम्य स्वभाव की पत्नी भी घर में हो तो सुख शांति की स्थापना कर सकती है। 

लेकिन अगर पत्नी बात-बात पर क्लेश करती हो, जिसमें घर-परिवार को एकजुट रखने का भाव न हो। ऐसे घर में रहने की बजाय वन को चले जाएं। 

आज के परिपेक्ष में बात करें तो व्यक्ति को वहां रहना चाहिए जहां उसे मानसिक शांति, सुख मिले। 

चाणक्य ने कहा है कि घर तभी तक रहने योग्य है जब तक उसमें शांति और आपसी तालमेल हो। 

अगर घर में साथ रहें और पशुओं की भांति लड़ते रहें तो जंगल में रहने में क्या बुराई है।