आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी व्यक्ति को कितना जीवन मिला है ? वो अल्पायु होगा या दीर्धायु ? इसका फैसला व्यक्ति के पैदा होने से पहले ही तय हो जाता है।
व्यक्ति यहां सिर्फ अपने कर्म के बल पर जीवन यापन करता है। जो पैदा हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित समय पर ही होती है, इसे कोई बदल नहीं सकता है।
आचार्य चाणक्य मनुष्य के कर्म के बारे में बताते हुए कहते हैं कि धरती पर जन्म लेने के बाद व्यक्ति को अपने कर्मों के हिसाब से सुख-दुख भोगना पड़ता है।
ये कर्म सिर्फ वर्तमान के नहीं बल्कि पिछले जन्म से भी तय होते हैं।
चाणक्य अपने कर्म के दम पर अपने जीवन के दुख को कुछ कम जरूर कर सकता है, लेकिन खत्म नहीं कर सकता। क्योंकि पिछले जन्म में किए गए कर्म के फल उसे भोगने पड़ते हैं।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को मिलने वाले धन और विद्या का फैसला भी जन्म से पहले ही हो जाता है।
क्योंकि इन दोनों चीजों की प्राप्ति भी पिछले जन्म के कर्म के अनुसार ही होता है। व्यक्ति को ये दोनों चीजें तय कर्मों के अनुसार ही मिलती हैं।