जब व्यक्ति में अहंकार का भाव आ जाता है तो उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है. घमंड में चूर व्यक्ति सही गलत का आंकलन नहीं कर पाता और खुद का नुकसान कर बैठता है।
लालच व्यक्ति की बुद्धि का विकास रोक देता है। किसी चीज को पाने का मोह उसे इतना अधिक लालची बना देता है कि उसके सोचने की क्षमता क्षीर्ण हो जाती है।
लालची इंसान सामने वाले का फायदा उठाने के लिए हर दम मौके की तलाश में रहता है।
लोभ के जाल में फंसा व्यक्ति अच्छे बुरे की समझ नहीं कर पाता। लालच का त्याग करने में ही भलाई है वरना सफलता कभी नहीं मिलेगी।
ये एक ऐसा अवगुण है अगर व्यक्ति पर हावी हो जाए तो उसकी बुद्धि के साथ शरीर का भी नाश हो जाता है। वासना के मोह में व्यक्ति की सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है।