चाणक्य नीति कहती है कि मधुर वाणी बोलना चाहिए और दूसरों के साथ नम्रता से पेश आना चाहिए। ये दो गुण व्यक्ति की प्रतिभा को बढ़ाते हैं।
ऐसे लोगों पर लक्ष्मी जी की हमेशा कृपा रहती है। उन्हें सफलता और पैसा दोनों मिलता है।
चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को कभी भी दूसरों के धन का लालच नहीं करना चाहिए। जो दूसरों के धन का लोभ करते हैं, उन्हें लक्ष्मी जी की कृपा कभी नहीं मिलती।
ऐसे लोग गरीबी और दरिद्रता से जूझते रहते हैं। टैलेंटेड होने के बाद भी ये अपने टैलेंट का फायदा नहीं उठा पाते हैं।
चाणक्य नीति का कहना है कि जो व्यक्ति हमेशा प्रशंसा सुनता है वह अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभा पाता है।
ऐसे लोग चापलूसों से घिरे रहते हैं। ऐसे राजाओं और प्रशासकों को बाद में कष्ट भोगने पड़ते हैं। राजा और प्रशासक को स्वार्थी लोगों से दूर रहना चाहिए।
चाणक्य नीति कहती है कि अगर दूसरों की मदद करने का मौका मिले तो कभी भी भागना नहीं चाहिए। जो दूसरों की सहायता और सेवा के लिए तत्पर रहता है, धन की देवी लक्ष्मी जी उस पर सदैव बनी रहती हैं। ऐसे लोगों का हर जगह सम्मान होता है।
चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को दो अवगुणोंसे दूर रहना चाहिए। जो क्रोधित होते हैं और हमेशा अहंकार में डूबे रहते हैं। सामने वाले को हमेशा अपने से तुच्छ समझते हैं, उन्हें कभी सफलता नहीं मिलती। ऐसे लोगों के कई दुश्मन होते हैं।