आचार्य चाणक्य के अनुसार मोहनी स्त्री अपने सच्चे प्रेमी को कभी नहीं चाहती है, वो उसे मूर्ख मानती है और घृणा भी करती है।
ऐसी स्त्री उन पुरुषों को पसंद करती हैं जो झूठ बोलता है, धूर्त या दगाबाज होता है।
ऐसे में अगर कोई पुरुष किसी ऐसी स्त्री से प्रेम करता है तो वो मूर्ख साबित होता है।
आचार्य चाणक्य ने अपनी बात को एक उदाहरण देकर समझाया और कहा कि सांप को दूध पिलाने से उसका विषैला स्वभाव खत्म नहीं होता बल्कि और ज्यादा बढ़ जाता है।
इसी तरह मोहनी स्त्री सदगुणी पुरुष के संपर्क में आकर और दुष्ट और क्रूर बन जाती है और जिंदगी भर ऐसे पुरुष को डंसती रहती है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार मोहनी स्त्री ऐसे पुरुषों की तलाश में होती है जो स्वभाव में दुष्टता लिए हो और जिसका स्त्री से संबंध सिर्फ एक ही लक्ष्य तक सीमित होता है।
मोहिनी स्त्री अपनी बेवकूफी और घमंड के चलते सदगुणी पुरुषों को आदर नहीं देती है।