इन 3 चीजों का कभी न छोड़े साथ, सुख-शांति भरा रहेगा बुढ़ापा

धन का सदुपयोग - धन ऐसी चीज है जो अपने और पराए के बीच का फर्क समझा देती है. जब तक आपके पास पैसा है रिश्ते, नाते सब जगह आपकी पूछ परख होगी।

लेकिन जब धन का अभाव होता है तो अपने भी साथ छोड़ देते हैं। ये दुख तब और बढ़ जाता है जब व्यक्ति ढलती उम्र में हो। 

इसलिए चाणक्य कहते हैं कि धन का सदा सदुपयोग करें। पैसों की बचत करेंगे तो बुढ़ापे में आपको किसी के सामने हाथ फैलाने की जरुरत नहीं होगी। 

अनुशासन - अनुशासन और अभ्यास से ही आत्मविश्वास पैदा होता है।

चाणक्य कहते हैं कि जो लोग अपना हर काम समय पर करते हैं, अपनी दिनचर्या को अनुशासित ढंग से जीते हैं उन्हें कभी किसी पर निर्भर नहीं होना पड़ता। वह अपने हर लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेते हैं। 

चाणक्य के अनुसार शुरुआत से ही व्यक्ति को अपने काम को सही समय और सही तरीके से करने की आदत हो तो उसे बुढ़ापे में तकलीफ नहीं सहनी पड़ती। 

खान-पान, तय समय पर सोना-जागना, व्यायाम, वह हर कार्य निश्चित पर करता है। जो अच्छी सेहत के लिए बहुत जरुरी है। अनुशासन का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। 

कहते हैं जिनके अकेले और अनुशासन से चलने के हौसले होते हैं एक दिन उनके पीछे काफिले होते हैं।

मददगार - चाणक्य कहते हैं कि जब व्यक्ति किसी की निस्वार्थ भावना से मदद करता है वह जीवन में कभी उदास और परेशान नहीं रहते। 

दान और दया ही सबसे बड़ा धर्म है।  आपकी आज की मदद आपके कल को संवारती है।  बुढ़ापा सुख और शांत के साथ बीतता है. मदद के लिए अपने हाथ हमेशा खुले रखें।