आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में कुछ ऐसी जगहों और स्थितियों के बारे में बताया है, जहां व्यक्ति को पैसे खर्च करने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए।
बल्कि इन जगहों पर उसे खुलकर पैसा खर्च करना चाहिए। इससे ना केवल उसका धन बढ़ता ही है, बल्कि उसे मान-सम्मान मिलता है और इसका पुण्य फल अगले जन्म तक मिलता है।
व्यक्ति का जीवन और पैसा तभी सार्थक है, जब वह उसे सही काम में लगाए।
चाणक्य नीति के अनुसार गरीब-जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए पैसा खर्च करना पैसे का सदुपयोग करना है।
हमेशा समाज के वंचित वर्ग के भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा पर अपनी आय का एक हिस्सा जरूर दें।
अपनी सामर्थ्य के अनुसार जितना हो सके असहाय-जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
चाणक्य नीति कहती है कि दान-पुण्य और धर्म-अनुष्ठानों में खर्च किया गया पैसा इस जन्म में ही नहीं बल्कि अगले जन्म तक लाभ देता है।
लिहाजा धार्मिक कार्यों में भी पैसा खर्च करने में कंजूसी ना करें। इससे देवी-देवता प्रसन्न होंगे और आपकी तिजोरी हमेशा भरी रहेगी।
समाजिक कार्यों में खर्च किया गया पैसा ना केवल समाज को आगे बढ़ाता है, बल्कि व्यक्ति को मान-सम्मान भी दिलाता है।
ऐसे सामाजिक कामों में खर्च किया गया पैसा व्यक्ति की प्रतिष्ठा बढ़ाता है, लिहाजा इन कामों में पैसा खर्च करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।