हमेशा बने रहना चाहते हैं अमीर, तो न करें ये गलती 

जिस तरह तालाब के जल को स्वच्छ रखने के लिए उसका बहते रहना आवश्यक है। इसी प्रकार अर्जित धन का त्याग करते रहना ही उसकी रक्षा करना है।

आचार्य चाणक्य के अनुसार, आज के समय में हर किसी की चाहत होती है, कि वह खूब अमीर बनें। उसके पास कभी भी धन की कमी न हो।

लेकिन जब उसके पास धन आता है, तो वह उसे इस तरह से संभालकर रख लेता है कि अपनी सुख-सुविधाओं पर खर्च करना ही भूल जाता है।

पैसा कमाने के लिए व्यक्ति खूब मेहनत तो करता है, लेकिन जब इसे खुद को ऊपर खर्च करने, निवेश करने या फिर दान-पुण्य करने की बात आती है, तो पहले 10 बार सोचता है कि इससे कभी उसके मेहनत की कमाई व्यर्थ ही तो नहीं जा रही हैं।

ऐसे में आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में कहा कि पैसा चलायमान है, जिसे आप किसी भी रोक नहीं सकते हैं।

अगर आप अपनी सुख-सुविधा में खर्च नहीं करेंगे, तो वह बीमारियों या फिर अन्य संसाधन में खर्च हो सकता है।

पैसा को कभी भी रोककर नहीं रखना चाहिए। इसे किसी न किसी तरह से व्यय करते रहना चाहिए।

जिस तरह एक तालाब में पानी भरा रहने से कुछ समय बाद ही उसमें काई लगने के साथ गंदगी जमा हो जाती है और वह किसी काम का नहीं रहता है।

इसके लिए जरूरी है कि जल को बहते रहना चाहिए। जब तालाब का पानी बहता रहेगा, तो उसमें गंदगी नहीं रुकेगी।

इसी तरह धन को भी कभी भी रोक कर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि आप पैसा इसलिए कमाते हैं कि इसका खर्च कर सके।