मनुष्य हमेशा सोचता है उसकी बेइज्जती ना हो जाए। हालांकि कई लोग ऐसे होते हैं जो अपमानित होने पर उसका मुंह तोड़ जवाब नहीं देते।
ऐसा करने वाले इंसान को जिंदगी में कदम-कदम पर अपमान का घूंट पीना पड़ता है।
जिस तरह से बीता हुआ वक्त वापस नहीं आता है, ठीक उसी तरह से अगर किसी ने आपका अपमान सबके सामने कर दिया है तो आपको लोगों की नजरों में वो जगह नहीं मिलेगी।
आचार्य चाणक्य का कहना हैं कि अपमान का घूंट जहर से भी ज्यादा कड़वा होता है। इसी वजह से इंसान का जीना मुश्किल हो जाता है।
कई बार होता है अगर आप उस अपमान को भूल जाएं। लेकिन आपके आसपास के लोग ऐसा नहीं होने देंगे।
जब भी उनको मौका मिलेगा तो वो आपके उन जख्मों को फिर से याद दिलाने की कोशिश करेंगे ताकि आप खुद में बुरा महसूस करें।