आचार्य चाणक्य के अनुसार पति-पत्नी एक गाड़ी के दो पहिये हैं।
एक खराब हुआ तो दूसरा अकेले गृहस्थी की गाड़ी नहीं खींच सकती। कोई भी काम पूरा करना है तो पति पत्नी को प्रतियोगी बनकर नहीं बल्कि एक टीम बनकर काम करना चाहिए।
कभी भी किसी भी चीज को लेकर एक दूसरे को अहंकार नहीं दिखाना चाहिए।
यदि व्यक्ति सफल शादीशुदा जीवन चाहता है तो इसके लिए पति और पत्नी दोनों ही धैर्य बनाकर रखें।
जीवन में कैसे भी हालात आ जाए, पति और पत्नी दोनों एक दूसरे के साथ धैर्य बनानकर ही आगे बढ़ सकते हैं
विपरीत परिस्थितियों में संयम न खोने वाले पति-पत्नी ही अपने जीवन को आगे बढ़ा पाते हैं।
पति-पत्नी को कभी भी अपनी बातें दूसरे को नहीं बताना चाहिए। उन्हें अपनी बातें अपने तक ही सीमित रखना चाहिए। इससे सम्मान भी कम होता है और रिश्ते पर बुरा असर भी पड़ता है।