आचार्य चाणक्य ने बताया मूर्ख और ज्ञानी में बड़ा अंतर

आचार्य चाणक्य ने बताया है कि मूर्ख व्यक्ति की पूजा अर्थात उसे आदर और सम्मान केवल उसके घर पर प्राप्त होती है। 

एक मुखिया की पूजा उसके गांव में होती है। राजा को राज्य में पूजा जाता है और विद्वानों को सभी क्षेत्रों में पूजा जाता है।

इसलिए जीवन में ज्ञान से कभी दूर नहीं भागना चाहिए। इसका फल आपको जरूर प्राप्त होता है।

इसलिए जीवन में ज्ञान से कभी दूर नहीं भागना चाहिए। इसका फल आपको जरूर प्राप्त होता है।

चाणक्य नीति के अनुसार ज्ञानी व्यक्ति अपना पूरा समय काव्य और शास्त्रों के अध्ययन में व्यतीत करते हैं।

वहीं मूर्ख और अज्ञानी लोग अपना समय सोने, लड़ने और बुरी आदतों का पीछा करने में बिताते हैं। 

इसलिए व्यक्ति को अपना समय व्यर्थ के कार्यों से हटाकर रचनात्मक कार्यों में लगाना चाहिए। इससे उस व्यक्ति के कौशल में और अधिक निखार आएगा।