Suraj Ke Andar Kya Hai: पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाने में सूर्य की सबसे बड़ी भूमिका है, क्योंकि यह सभी ऊर्जाओं (भूगर्भीय ऊर्जा को छोड़कर) का मुख्य स्रोत है। धर्मों में भी सूर्य को जीवनदाता के रूप में पूजा जाता रहा है, लेकिन क्या आप जानते है सूरज के अंदर क्या है, क्या सूर्य अरबों वर्षों तक सुरक्षित रहेगा यानी आग ऊर्जा प्रदान करता रहेगा? अगर आप इन प्रश्नो का जवाब जानना चाहते है, तो इस लेख को आखिरी तक जरूर पढ़े।
आज के इस लेख में आप जानेंगे की सूरज के अंदर क्या है, सूर्य की उत्त्पति और अंत कब होगा, तो आइये जानते है –
सूरज के अंदर क्या है गूगल (Suraj Ke Andar Kya Hai)
सूर्य एक गैसीय तारा है जो मुख्य रूप से 2 गैसों से बना है, जिसमें 74% हाइड्रोजन, 24% हीलियम और 2% अन्य गैसें (हाइड्रोजन, हीलियम, सल्फर, मैग्नीशियम, कार्बन, लोहा, हाइड्रोजन, निकल, नियॉन, कैल्शियम, क्रोमियम, ऑक्सीजन, सिलिकॉन) हैं। सूर्य पर कोई सतह नहीं है और यही कारण है कि सूर्य इतनी अधिक ऊर्जा उत्पन्न करता है। सूर्य ही पृथ्वी का एकमात्र स्रोत है, यदि सूर्य न हो तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं हो सकता।
सूर्य के पथ यानी मार्ग को तपपथ या सूर्यपथ कहा जाता है, सूर्य अपनी परिक्रमा 27 दिन में पूरी करता है। सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में लगभग 8 मिनट 17 सेकंड का समय लगता है। सूर्य के प्रकाश की किरणों की गति 300000 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है। एक वर्ष में सूर्य की किरणें जितनी दूरी तय करती हैं उस दुरी को एक प्रकाश वर्ष कहते हैं।
सूर्य के केंद्र को कौर के नाम से भी जाना जाता है, सूर्य के केंद्र का तापमान लगभग 15 मिलियन (1.50 करोड़) डिग्री सेल्सियस है, सूर्य की सतह को प्रकाशमंडल (फोटोस्फीयर) के रूप में जाना जाता है, इसका तापमान (Tapman) सिर्फ 5,700 डिग्री सेल्सियस है।
सूर्य की उत्त्पति और अंत (Surya Ki Utpati Aur Anth)
उत्त्पति – सूर्य का जन्म लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले एक विशाल परमाणु बादल के हिस्से के ढहने से हुई थी । इसका अधिकांश भाग हाइड्रोजन और हीलियम से बना है। ऐसा माना जाता है कि इससे कई अन्य सितारों का भी जन्म हुआ। सूर्य के जन्म के सापेक्ष इस आयु का अनुमान तारकीय विकास और न्यूक्लियोकोस्मोक्रोनोलॉजी के कंप्यूटर मॉडल का उपयोग करके लगाया गया है।
जहां सूर्य का जन्म हुआ, वहां अधिक सुपरनोवा रहे होंगे, जिनकी चुंबकीय तरंगों ने बादलों में आकर्षण और गुरुत्वाकर्षण बल पैदा कर दिया, जिससे वे घूमने लगे और एक बड़े बादल का एक बड़ा हिस्सा केंद्र में इकट्ठा हो गया। बादलों का शेष भाग कई लाख किलोमीटर तक उसकी कक्षा में घूमने यानी चक्कर लगाने लगा।
इसके केंद्र में स्थित कई गैसों के कारण प्लाज्मा बनना शुरू हुआ, जिसके बाद परमाणु संलयन की प्रतिक्रिया शुरू हुई। जिससे बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न होने लगी। यह प्रक्रिया कई लाखों वर्षों तक चलती रही और डिस्क के आसपास घूम रहे सभी बदल एक दूसरे से जुड़ने लगे और धीरे-धीरे एक परत का रूप लेने लगे। इस प्रकार सूर्य का जन्म हुआ।
अंत – सूर्य का जन्म लगभग 45 लाख वर्ष (4.5 मिलीयन वर्ष ) पूर्व हुआ था। सूर्य अपनी आधी से ज्यादा आयु गुजार चुका है, यानी सूर्य की आधी उम्र हो चुकी है और आधी उम्र बाकी है। साइंटिस्ट्स ने अपनी रिसर्च के अनुसार सूर्य की आयु को लगभग 10 मिलियन वर्ष बताया है, क्योंकि सूर्य के भीतर उपस्थित आधा हाइड्रोजन जल चुका है और शेष बचा हाइड्रोजन मात्र 5 अरब वर्षो तक ही चल सकता है।
सूर्य के बारे में हिंदी में (About Sun In Hindi)
सूरज, जिसे सूर्य के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य सौर मंडल के केंद्र में एक तारा है। सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है, इसका व्यास लगभग 13 लाख 90 हजार किमी है, जो पृथ्वी (Earth) से 109 गुना ज्यादा है।
सूर्य ऊर्जा का एक विशाल गोला है, जो हाइड्रोजन और हीलियम गैसों से भरा हुआ है।सूर्य के प्रकाश का केवल एक छोटा सा भाग ही पृथ्वी तक पहुँच पाता है।
पौधे और समुद्र सूर्य की बहुत सारी ऊर्जा अवशोषित करते हैं। सूर्य का प्रबल गुरुत्वाकर्षण बल विभिन्न कक्षाओं में घूमते हुए अन्य ग्रहों और पृथ्वी को अपनी ओर खींचता रहता है।
पृथ्वी से सूर्य की दूरी 14,96,00,000 किलोमीटर या 9,29,60,000 मील है। सूर्य की किरणों को पृथ्वी तक पहुँचने में 8.3 मिनट का समय लगता है।
सूर्य की सतह हाइड्रोजन, हीलियम, सल्फर, मैग्नीशियम, कार्बन, लोहा, हाइड्रोजन, निकल, नियॉन, कैल्शियम, क्रोमियम, ऑक्सीजन, सिलिकॉन तत्वों से बनी है। जिसमें से सबसे ज्यादा मात्रा हाइड्रोजन और हीलियम की है।
जब सूर्य को दूरबीन से देखा जाता है तो उसकी सतह पर छोटे-छोटे धब्बे दिखाई देते हैं। इन धब्बों को सनस्पॉट (सौर कलंक) के नाम से जाना जाता है। ये सूर्य धब्बे अपनी जगह से हिलते रहते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि सूर्य पूर्व से पश्चिम की ओर गति करता है और 27 दिनों में अपने अक्ष पर एक चक्कर लगाता है।
जिस प्रकार पृथ्वी और अन्य सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं, उसी प्रकार सूर्य भी आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा करता है। सूर्य को आकाशगंगा की परिक्रमा करने में 22 से 250 मिलियन वर्ष लगते हैं, इस अवधि को निहारिका वर्ष भी कहा जाता है। परिक्रमा की गति 241 किलोमीटर प्रति सेकंड है।
FAQs
सूर्य में क्या भरा होता है?
सूर्य में 74% हाइड्रोजन, 24% हीलियम और 2% अन्य गैसें है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने आपको सूरज के अंदर क्या है (Suraj Ke Andar Kya Hai) के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख सूरज के अंदर क्या होता है (Suraj Ke Andar Kya Hota Hai) अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।