शिव पुराण कथा कितने दिन की होती है – शिव पुराण 18 पुराणों में से एक है। शिव पुराण में भगवान शिव की लीला के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया हैं। आप किसी भी शुभ मुहूर्त में शिव पुराण के पाठ का आयोजन कर सकते हैं। लेकिन सावन के महीने में शिवपुराण का पाठ और श्रवण अत्यंत लाभकारी होता है। शिव पुराण में चंचला और उसके पति बिन्दुग की कथा है, जिन्हें शिव पुराण सुनने से शिवलोक में स्थान मिला।
आज के इस लेख में हम आपको शिव पुराण कथा कितने दिन की होती है, शिव पुराण कितने दिन का होता है आदि के बारे में जानकारी देने वाले है। तो आइये जानते है –
शिव पुराण कथा कितने दिन की होती है / शिव पुराण कितने दिन का होता है?
शिव महापुराण में सात अध्याय हैं, इसलिए इसका पाठ सात दिनों तक करना चाहिए। शिव महापुराण में 11 खण्ड हैं, और कुल 24 हजार श्लोक हैं।
शिव पुराण कब करना चाहिए / शिव पुराण का पाठ कब करना चाहिए?
श्रावण मास भगवान शंकर को प्रिय है इसलिए श्रावण मास में शिव महापुराण का पाठ या श्रवण करना अधिक फलदायी होता है। इसके अलावा अगर आप शिव महापुराण का पाठ करना चाहते है तो किसी भी सोमवार से शिव महापुराण का पाठ शुरू कर सकते हैं।
शिव पुराण के नियम (Shiv Puran Ke Niyam In Hindi)
शिव पुराण पढ़ने से पहले आपको अपने शरीर और मन को शुद्ध कर लेना चाहिए।
शिव पुराण पढ़ने से पहले साफ कपड़े पहनें, तथा स्वच्छ आसन का प्रयोग करें। इसके बाद शिवपुराण का पाठ करने से पहले अपने आसपास गंगाजल छिड़कें। इसके बाद भगवान शिव के प्रति श्रद्धा भाव रखते हुए शिव पुराण का पाठ करें।
शिव पुराण कथा सुनने से पहले संकल्प लें कि आप कथा ध्यान से सुनेंगे और अपना मन भगवान शिव पर केंद्रित रखने का प्रयास करेंगे।
प्रतिदिन शिवपुराण का पाठ समाप्त होने तक निराहार रहकर कथा सुननी चाहिए।
जो व्यक्ति शिव पुराण सुनने और पाठ करने का संकल्प लेता है उसे पूरा पाठ पूरा होने तक केवल एक बार ही भोजन करना चाहिए और भोजन सात्विक होना चाहिए।
जब तक शिव पुराण की कथा चलती है तब तक दाल, गाजर, बासी भोजन, हींग, लहसुन, प्याज, जला हुआ अनाज, सेम तथा भारी भोजन, मांस और शराब के सेवन से बचना चाहिए।
शिव पुराण की कथा सुनने वाले व्यक्ति को कथा समाप्त होने तक कुछ समय तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
प्रतिदिन शिवपुराण की कथा के आरंभ और अंत में शिवपुराण की पूजा करनी चाहिए और यदि आप इसका पाठ किसी पंडित से करवा रहे हैं तो उन्हें प्रणाम करके दक्षिणा देनी चाहिए।
शिव पुराण में बताया गया है कि जो लोग बुद्धि भ्रष्ट हो जाने से परस्त्रीगामी हो जाते है। उन्हें घोर नरक में जाना पड़ता है। जैसे चंचला के पति बिन्दुग को नर्क सहना पड़ा था, लेकिन चंचला ने शिव पुराण सुनकर अपने पति को पाप से मुक्ति दिलाई थी।
शिवपुराण की कथा से शिवजी नि:संतान लोगों की गोद भर देते हैं। गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति या दुर्भाग्यशाली व्यक्ति को भी शिव पुराण की कथा से लाभ मिलता है। इसलिए मन में श्रद्धा, भक्ति और विश्वास रखकर शिव पुराण की कथा सुननी चाहिए। मन में अविश्वास हो तो परिणाम नहीं मिलते।
शिव पुराण का पाठ करने वाले व्यक्ति को व्रत अवश्य रखना चाहिए। आप चाहें तो उस दिन फल भी खा सकते हैं, और जमीन पर सोना चाहिए।
शिव पुराण पढ़ने वाले व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति की चुगली नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से शिवपुराण पढ़ने का पूरा फल नहीं मिलता है।
शिव पुराण पढ़ने के फायदे (Shiv Puran Padhne Ke Fayde In Hindi)
यदि आप शिव पुराण का पाठ करते हैं, तो भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं।
शिव पुराण का पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं, व्यक्ति के जीवन से परेशानियां दूर हो जाती हैं।
ऐसा माना जाता है कि जो लोग संतानहीन हैं। ऐसे लोगों को शिव पुराण का पाठ करना चाहिए। इससे नि:संतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है।
शिवपुराण का पाठ करने से वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं, और दंपत्ति का वैवाहिक जीवन बेहतर हो जाता है।
शिव पुराण पढ़ने से व्यक्ति के पाप दूर हो जाते हैं। और मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है।
जो सदैव शिव पुराण का पाठ करता है। उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शिवपुराण का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। पारिवारिक विवाद दूर होते हैं। परिवार के सदस्यों को जीवन में सफलता मिलती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस लेख में हमने आपको शिव पुराण कथा कितने दिन की होती है, शिव पुराण कितने दिन का होता है, शिव पुराण के नियम और शिव पुराण के फायदे के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख शिव पुराण कथा कितने दिन की होती है (Shiv Puran Kitne Din Ki Hoti Hai) अच्छी लगी है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।