शनिवार को पीपल में जल कब चढ़ाना चाहिए – हिंदू परंपरा में पूजा-पाठ का बहुत महत्व है। शास्त्रों में कई पेड़-पौधों की पूजा का भी उल्लेख किया गया है। इसी तरह पीपल के पेड़ की पूजा को भी विशेष महत्व दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ में कई देवी-देवताओं का वास होता है। मान्यता है कि शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से घर से दरिद्रता दूर होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। तो आइये जानते है –
शनिवार को पीपल में जल कब चढ़ाना चाहिए (Shaniwar Ko Pipal Me Jal Kab Chadhana Chahiye)
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार शनिवार की सुबह पीपल के पेड़ को जल देना बहुत लाभकारी होता है। इस दिन सूर्योदय के बाद पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद इसकी परिक्रमा करनी चाहिए। पीपल के पेड़ की पूजा करने से न सिर्फ मन को शांति प्राप्त होती है बल्कि सुख-शांति भी बनी रहती है। अगर आप रोजाना पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं तो और भी अच्छा है।
शनिवार को पीपल की पूजा कब करनी चाहिए (Shaniwar Ko Pipal Ki Puja Kab Karni Chahiye)
शनिवार को पीपल की पूजा सुबह और शाम को करनी चाहिए। शनिवार को पीपल की पूजा सुबह 7 बजे से 10 बजे तक कर लेनी चाहिए। वही शाम के समय 5 से 7 बजे तक पीपल की पूजा कर लेनी चाहिए।
ऐसे करें पीपल के पेड़ की पूजा
शनिवार के दिन नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नान आदि करें। इसके बाद साफ कपड़े पहनें। कोशिश करें कि सफेद रंग के कपड़े पहनें। इसके बाद पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने के साथ-साथ फूल, जनेऊ और कोई भी मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद दीपक और धूप जलाएं और अपने इष्ट देवता के मंत्र का जाप करें। अंत में पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने के अतिरिक्त दूध चढ़ाना भी फलदायक होता है। शनिवार के दिन एक लोटे में जल में दूध और थोड़े से तिल मिलाकर पीपल के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं। इसके साथ ही ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करते रहें।
पीपल संबंधी उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पीपल से जुड़े कुछ अन्य उपाय करने से व्यक्ति अच्छी समृद्धि के साथ-साथ कुंडली से शनि दोष, शनि साढ़ेसाती और ढैय्या से भी छुटकारा पा सकता है।
हर परेशानी से छुटकारा पाने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे साफ मिट्टी से शिवलिंग बनाएं। इसके बाद पूजा करने के बाद इसे जल में विसर्जित कर दें। ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव का भी आशीर्वाद मिलता है।
अगर आप कुंडली से शनि की साढ़े साती, ढैय्या या शनि दोष से छुटकारा पाना चाहते हैं तो शनिवार के दिन पूरी श्रद्धा से जल चढ़ाएं। इसके बाद सात बार परिक्रमा करें।
शनि दोष से छुटकारा पाना चाहते है तो पीपल के पेड़ के नीचे शनिवार के दिन सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इस दीपक में कुछ तिल भी अवश्य डाल दें।
शनिवार की सुबह किसी पेड़ पर जल चढ़ाने से मन को शांति मिलती है। इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से कुंडली के कमजोर ग्रह मजबूत होते हैं।
पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने के साथ पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें। ऐसा करना बहुत शुभ माना जाता है। पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से कुंडली में व्याप्त कालसर्प दोष से राहत प्राप्त होती है।
पीपल वृक्ष को शनिवार (Shaniwar) के दिन दोनों हाथों से छूकर 7 बार परिक्रमा करें। ऐसा करते वक्त “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करते रहे। इससे शनि की ढैय्या व साढ़ेसाती के बुरे असर कम हो जाते हैं।
शनि ढैय्या और साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव से पीड़ित लोगों को हर शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल में गुड़ और दूध मिलाकर चढ़ाना चाहिए। शनिवार की शाम को सरसों के तेल का दीपक भी जलाएं।
11 पीपल के पत्ते लें और उन पर चंदन से जय श्री राम लिखें। इन पत्तों की माला बनाकर हनुमानजी को चढ़ाएं। इससे शनि के अशुभ प्रभाव दूर होंगे और शुभ फल प्राप्त होंगे।
यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से बीमार है और ठीक नहीं हो पा रहा है तो उसके तकिए के नीचे पीपल की जड़ रखें। इससे आपकी सेहत में जल्द ही सुधार होगा।
जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष हो यदि वह पीपल का पेड़ लगाए तो उसे पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है।
सूर्योदय से पहले पीपल की पूजा नहीं करनी चाहिए और रविवार के दिन पीपल पर जल भी नहीं चढ़ाना चाहिए और न ही उसकी पूजा करनी चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस लेख में हमने आपको शनिवार को पीपल में जल कब चढ़ाना चाहिए, शनिवार को पीपल की पूजा कब करनी चाहिए के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख शनिवार को पीपल में जल कब चढ़ाना चाहिए (Shaniwar Ko Pipal Me Jal Kab Chadhana Chahiye) अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।