रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के उपाय – अगर आप पितृ दोष से बचना चाहते हैं, अपने पितरों को खुश रखना चाहते हैं, पितरों का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के उपाय करें। जब तक पितरों की कृपा न हो, तब तक किसी भी काम में सफलता प्राप्त नहीं होती है।
हर व्यक्ति के जीवन में तीन तरह के कर्ज होते हैं। देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण – इन तीनों ऋणों से छुटकारा पाने के लिए हमें विभिन्न प्रकार के यज्ञ, अनुष्ठान आदि करने पड़ते हैं। हमारे जीवन में हमारे पितृ देवताओं का आशीर्वाद होता है, इसलिए हमें उनके निमित्त काम करने चाहिए।’ जिससे हम पितृ ऋण से भी मुक्त हो सकें।
रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष दूर करने के लिए कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं, जिनके बारे में आज हम आपको इस लेख में जानकारी देने वाले है। इसके अलावा रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के लक्षण क्या है के बारे में भी बताने वाले है, तो आइये जानते है –
रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के लक्षण (Ravan Samhita Ke Anusaar Pitra Dosh Ke Lakshan)
पितृ दोष एक बहुत ही खतरनाक दोष है जिसके कारण जीवन में तरह-तरह की परेशानियां आती हैं। पितृ दोष के कई लक्षण होते हैं, जिनसे यह आसानी से पता चल जाता है कि आप भी पितृ दोष के शिकार हैं। ऐसे में पितृ दोष का उपाय अवश्य करना चाहिए। यहां पितृ दोष के कुछ विशेष लक्षणों के बारे में बताया गया है –
संतान संबंधी समस्या होना, विवाह में रुकावट आना, आर्थिक रूप से तंगी रहना, स्वास्थ्य ख़राब रहना, मानसिक रूप से परेशान रहना और पिता के साथ अच्छे संबंध न होना।
रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के उपाय (Ravan Samhita Ke Anusaar Pitra Dosh Ke Upay)
1) एक मुट्ठी तिल का दान किसी भी विद्वान ब्राह्मण को करें।
2) किसी गरीब लड़की (गरीब कन्या) की शादी कराए, इससे पितृ दोष दूर होता है।
3) भगवत गीता का पाठ प्रतिदिन करने से भी पितृदोष की शांति होती है।
4) विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
5) पीपल व बरगद का पेड़ घर में लगाने से पितृ दोष दूर होता है।
6) अपने इष्ट देवता यानि कुल देवता की पूजा अवश्य करें। इससे पितृ देवता प्रसन्न होते हैं।
7) पवित्र नदी में काले तिल बहाने से पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त होती है।
8) महामृत्युंजय स्तोत्र का पाठ और नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने से भी पितृ देवता प्रसन्न होते हैं।
9) श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों का तर्पण जरूर करें।
10) गया तीर्थ में एक बार पिंड दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
पितृदोष के बारे में (About Pitra Dosh In Hindi)
रावण संहिता के अनुसार जब तक मनुष्य अपने पितरों को शांत नहीं करवाते, तब तक उनके जीवन में पितृ दोष बना रहता है। मनुष्य को जीवन में पितृदोष का सामना तब तक करना पड़ता है जब तक वह पितृ तर्पण और पिंडदान द्वारा मुक्त नहीं हो जाता, इसलिए सभी मनुष्यों को पितृपक्ष में पितृ दोष दूर करने के उपाय अवश्य करने चाहिए।
अब सवाल यह है कि पितृदोष की पूजा कहां करवानी चाहिए, तो इसका जवाब है कि आप अपने घर पर ही पितृ दोष की पूजा कर सकते हैं, लेकिन अगर आप जल्द ही पितृ दोष से शांति और मुक्ति पाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको गयाजी, काशी, प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार, रामेश्वरम, बद्रीनाथ आदि तीर्थों पर जाकर पूजा करवानी होगी।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार इन तीर्थ स्थानों पर पितृ दोष की पूजा करने से पितरों को शीघ्र शांति और मोक्ष का लाभ मिलता है और पितृ दोष की यह पूजा भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से प्रारम्भ होती है।
श्राद्ध पक्ष के दौरान पितृ दोष की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध पक्ष में पितृ पूजा करने से पितृदोष शांत हो जाता है, इसलिए श्राद्ध पक्ष में तर्पण और पिंडदान आदि करके विधिपूर्वक पितरों का तर्पण करना चाहिए।
पितृदोष और कालसर्प दोष एक ही है –
पितृदोष और कालसर्प दोष को लेकर लोगों के मन में यह भ्रम है कि पितृ दोष और कालसर्प दोष एक ही हैं, तो नहीं। पितृ दोष और कालसर्प दोष में बहुत अंतर है। दोनों दोषों में कुंडली में कुछ समानताएं होती हैं लेकिन फिर भी पितृदोष कालसर्प दोष से बहुत अलग होता है।
जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं तो कालसर्प दोष बनता है। ज्योतिष परंपरा में कालसर्प दोष लगभग 12 प्रकार के होते हैं। दूसरी ओर, पितृ दोष तब होता है जब जन्म कुंडली के नौवें घर में सूर्य और केतु या सूर्य और राहु जुड़े हों।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कालसर्प दोष और पितृ दोष में यह सामान्य अंतर पाया जाता है। लेकिन कुंडली में पितृ दोष और कालसर्प दोष को गहराई से समझने के लिए किसी अच्छे ज्योतिषी से इसका अध्ययन कराना जरूरी माना जाता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस लेख में हमने आपको रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के उपाय और रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के लक्षण के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा, अगर आपको यह लेख रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के लक्षण और उपाय अच्छा लगा है, तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।