रानी लक्ष्मी बाई की तलवार का वेट – रानी लक्ष्मीबाई ने आखिरी सांस तक अंग्रेजों से लोहा लिया था। उन्होंने मौत को गले लगाना स्वीकार किया, लेकिन अंग्रेजों के सामने कभी घुटने नहीं टेके। जिस दुर्लभ तलवार से रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों का सफाया किया था, वह आज भी ग्वालियर के संग्रहालय में सुरक्षित है। इसके साथ ही रानी के अस्त्र-शस्त्र खांडा, उना, कटार, गुप्ती और पटे भी मौजूद हैं, जिनका उपयोग रानी ने युद्ध के दौरान किया था। 19 नवंबर, 1827 को काशी में जन्मी लक्ष्मीबाई की कर्मभूमि झांसी बनी। 18 जून, 1858 को ग्वालियर में अंग्रेजों से लड़ते हुए वे शहीद हो गईं।
आज के इस लेख में हम आपको रानी लक्ष्मी बाई की तलवार का वजन कितना था के बारे में जानकारी देने जा रहे है। अगर आप उपरोक्त जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो हमारे आज के इस महत्वपूर्ण लेख को अंत तक जरूर पढ़े, तो आइये जानते है –
रानी लक्ष्मी बाई की तलवार का वजन कितना था (Rani Laxmi Bai Sword Weight In Hindi)
अंग्रेजो के छक्के छुड़ाने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की तलवार का वजन करीब 3.308 किलो और लंबाई 4 फीट थी।
वर्तमान में रानी लक्ष्मीबाई की तलवार कहां है?
वर्तमान में रानी लक्ष्मीबाई की ग्वालियर के संग्राहलय में सुरक्षित है। इसके अलावा झांसी की रानी के शस्त्र खांडा, उना, कटार, गुप्ती और पटे भी इस संग्राहलय में मौजूद हैं। इन सबका रानी लक्ष्मीबाई ने युद्ध के दौरान इस्तेमाल किया था।
रानी लक्ष्मीबाई के बारे में (About Rani Laxmi Bai In Hindi)
रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवम्बर, 1835 ई. को काशी के वाराणसी में हुआ था। रानी लक्ष्मी के पिता का नाम ‘मोरोपंत तांबे’ और माँ का नाम ‘भागीरथी बाई’ था। रानी लक्ष्मी के बचपन का नाम ‘मणिकर्णिका’ था और प्यार से ‘मनु’ कहा जाता था। मनु महज चार-पांच साल की थी जब उनकी मां का देहांत हो गया। पिता मोरोपंत तांबे एक साधारण ब्राह्मण और अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के सेवक थे, माँ भागीरथी बाई सुशील, चतुर और सुंदर महिला थी। अपनी माँ की मृत्यु के बाद, वह अपने पिता के साथ बिठूर चली गईं, जहाँ उन्होंने कुश्ती, घुड़सवारी और हथियार चलाना सीखा। लेकिन घर में मनु की देखभाल करने वाला कोई नहीं था, इसलिए उनके पिता मोरोपंत मनु को अपने साथ बाजीराव के दरबार में ले जाते थे। जहाँ चंचल और रूपवान मनु ने सभी का मन मोह लिया था। बाजीराव प्यार से मनु को ‘छबीली’ कहते थे।
गंगाधर राव को 1838 में झाँसी का राजा घोषित किया गया। वे एक विधुर थे, उन्होंने 1850 में मनुबाई से विवाह किया। 1851 में पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, लेकिन दुर्भाग्यवश चार महीने पश्चात ही बच्चे की मृत्यु हो गई।
1853 में उनके पति की भी बीमारी के चलते मौत हो गई। पुत्र और पति की मृत्यु के बाद भी रानी लक्ष्मीबाई ने हिम्मत नहीं हारी। रानी लक्ष्मीबाई केवल 25 वर्ष की थीं जब उनके पति की मृत्यु हो गई। उन्होंने सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली थी।
ग्वालियर का अंतिम युद्ध हुआ और रानी ने कुशलतापूर्वक अपनी सेना का नेतृत्व किया, वह घायल हुई और अंत में वीरगति को प्राप्त हुई।
17 जून को ह्यूरोज ने ग्वालियर पर अधिकार कर लिया। परन्तु झाँसी की रानी ने आत्म-समर्पण का मार्ग न चुनकर सेना का सामना करने का निश्चय किया। रानी लक्ष्मीबाई की अंतिम इच्छा थी कि कोई अंग्रेज उनके शव को हाथ न लगा सके। लक्ष्मीबाई ने अल्पायु में ही अपने प्राण त्याग दिए थे।
कुछ समय बाद उनके पिता मोरोपंत तांबे को भी अंग्रेजों ने फाँसी दे दी। लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र दामोदर राव अपनी माँ के सहायकों के साथ वहाँ से भाग गए, हालाँकि उन्हें कभी उत्तराधिकार नहीं प्राप्त हुआ। अंग्रेजों ने उन्हें पेंशन देने की व्यवस्था कर दी थी। लेकिन दामोदर राव का भी 58 वर्ष की आयु में 28 मई, 1906 को निधन हो गया।
रानी लक्ष्मी बाई एक बहादुर और साहसी महिला थीं, उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
FAQs
रानी लक्ष्मी बाई की तलवार का वजन कितने किलोग्राम था?
झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई की तलवार का वजन करीब 3.308 किलोग्राम था।
रानी लक्ष्मीबाई की तलवार से कौन भागा था?
रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी तलवार से अंग्रेजों का सफाया किया था। रानी लक्ष्मीबाई की तलवार ग्वालियर के संग्राहलय में सुरक्षित है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने आपको रानी लक्ष्मी बाई की तलवार का वेट कितना था, रानी लक्ष्मीबाई की तलवार कहां है के बारे में जानकारी प्रदान की है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा, अगर आपको यह लेख रानी लक्ष्मी बाई की तलवार का वजन कितना था अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी करना न भूले।