पितरों की पूजा कब करनी चाहिए – हर साल पितरों को समर्पित एक निश्चित अवधि के दौरान पितरों को तर्पण दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सच्चे मन से किया गया तर्पण व्यक्ति को कई तरह के रोगों से मुक्ति दिलाता है और साथ ही पितरों का आशीर्वाद हम पर हमेशा बना रहता है, जिससे व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में आसानी से सफलता मिलती है। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए यथासंभव दान करना चाहिए।
इस पूरी अवधि में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान बाल और दाढ़ी नहीं कटवाने चाहिए, घर में सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। इस पूरे समय के दौरान आपको किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन जैसे मांस, मछली, शराब आदि का सेवन करने से बचना चाहिए।
लेकिन क्या आप जानते है पितरों की पूजा कब करनी चाहिए? अगर नहीं आज के इस लेख को पूरा अवश्य पढ़े। आज के इस लेख में आप जानेगे की पितरों की पूजा कब करनी चाहिए, पितरों की पूजा कैसे करें, पितृ पक्ष में किसकी पूजा करनी चाहिए।
पितरों की पूजा कब करनी चाहिए (Pitro Ki Puja Kab Karni Chahiye)
पितरों की पूजा पितृपक्ष में करनी चाहिए। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहा जाता है। पितृपक्ष के दौरान जिस तिथि पर मृत्यु हुई हो उस तिथि पर श्राद्ध किया जाता है।
पितृ पक्ष में किसकी पूजा करनी चाहिए (Pitra Paksha Me Kiski Puja Karni Chahiye)
पितृ पक्ष में पितरों या पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए। ब्रह्म पुराण के अनुसार मनुष्य को अपने पितरों की पूजा करनी चाहिए और तर्पण करना चाहिए। पितरों का ऋण श्राद्ध के माध्यम से चुकाया जा सकता है। पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने से पूर्वज प्रसन्न रहते हैं। पितृ पक्ष के दौरान, पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण या पिंड दान किया जाता है।
पितरों की पूजा कैसे करें (Pitro Ki Puja Kaise Kare)
- श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) किसी योग्य विद्वान ब्राह्मण से ही करवाना चाहिए।
- श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा के साथ ब्राह्मणों को दान दिया जाता है और साथ ही अगर आप किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति की मदद कर सकें तो आपको बहुत पुण्य मिलता है।
- इसके साथ ही भोजन का एक हिस्सा गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों को भी देना चाहिए।
- यदि संभव हो तो श्राद्ध गंगा नदी के तट पर करना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो इसे घर पर भी किया जा सकता है।
- श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों के लिए भोज का आयोजन करना चाहिए। भोजन के बाद उन्हें दान-दक्षिणा देकर संतुष्ट करें।
- श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए। किसी योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंत्र जाप करें और पूजा के बाद जल से तर्पण करें।
- इसके बाद भोग लगाए जाने वाले भोजन में से गाय, कुत्ते, कौवे आदि का भाग अलग कर देना चाहिए। भोजन डालते समय अपने पितरों को याद करना चाहिए। उनसे मन ही मन श्राद्ध ग्रहण करने का निवेदन करना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस लेख में हमने आपको पितरों की पूजा कब करनी चाहिए, पितरों की पूजा कैसे करें, पितृ पक्ष में किसकी पूजा करनी चाहिए के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा, अगर आपको यह लेख पितरों की पूजा कब करनी चाहिए अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।