पितर कितने प्रकार के होते हैं – सनातन धर्म में पितृ पक्ष को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान यदि पितरों को तर्पण और पिंडदान किया जाए तो व्यक्ति और उसके परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। इससे पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितृ दोष से जुड़े कुछ उपाय जरूर करने चाहिए। इन उपायों को करने से पितरों से प्राप्त कष्ट और पितृ दोष दूर हो जाते हैं।
पितृ पक्ष को पितृ ऋण चुकाने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। श्राद्ध पितरों को भोजन और श्रद्धा अर्पित करने का एक साधन है। पितृ पक्ष में पितरों को संतुष्ट करने के लिए भोजन, दान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। तो आइये इनसे जरुरी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जानते है –
पितर कितने प्रकार के होते हैं (Pitar Kitne Prakar Ke Hote Hai)
पितर दो प्रकार के होते हैं – दिव्य पितर और दूसरे मानव पितर। शास्त्रों के अनुसार चंद्रमा के ऊपर एक और लोक है जिसे पितरों का लोक माना जाता है। पुराणों के अनुसार पितरों को दो भागों में बांटा गया है – एक दिव्य पितर और दूसरे मानव पितर। दिव्य पितर मनुष्य व जीवों का न्याय उनके कर्मों के आधार पर करते हैं। अर्यमा को पितरों का मुखिया माना जाता है जबकि उनके न्यायाधीश यमराज हैं।
पितर कौन होते है (Pitar Kaun Hote Hai In Hindi)
परिवार या रिश्तेदार में जिस व्यक्ति की मृत्यु होती है उसे पितृ कहा जाता है। सरल शब्दों में कहे तो – जिनकी मृत्यु हो जाती है वह पितर बन जाते हैं।
पितृ दोष के प्रकार और उपाय (Pitra Dosh Ke Prakar Aur Upay)
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार पितृदोष 10 प्रकार के हो सकते हैं। इन दस प्रकार के पितृ दोष के परिणाम जीवन में अलग-अलग तरह से दिखाई देते हैं। इसके अलावा प्रत्येक पितृदोष के लिए पूजा या उपाय भी अलग-अलग होने चाहिए। तभी इसका उचित फल मिलता है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
दरअसल पितृ दोष एक प्रकार का ऋण है, जिसे पूर्वजों द्वारा चुकाए जाने का विधान है।है। यह कर्ज धन, वस्तु या कर्म से भी संबंधित हो सकता है। यदि पूर्वज इस ऋण को चुकाने में असमर्थ होते हैं तो अगली पीढ़ी पर पितृ दोष लग जाता है, तब परिवार को पूजा-पाठ के माध्यम से इस ऋण को चुकाना पड़ता है।
ये ऋण इस प्रकार हैं – पूर्वजों का ऋण, पितृ ऋण, स्वयं का ऋण, मातृ ऋण, पत्नी ऋण, संबंधी ऋण, पुत्री ऋण, जालिमाना ऋण आदि। इन ऋणों के आधार पर पितृ दोष लगता है, जिसे दूर करने के लिए आप उसी दोष के लिए पूजा करनी होगी।
उपाय – पितृ दोष से मुक्ति के लिए श्राद्ध पक्ष में पितरों की मृत्यु तिथि पर तर्पण करें और ब्राह्मण को भोजन कराएं। जितना हो सके दान करें। प्रत्येक अमावस्या को पीपल के वृक्ष की पूजा करें। ज़रूरतमंद की मदद करे।
पितरों के बारे में जानकारी (Pitaro Ke Bare Me Jankari)
गरुड़ पुराण से यह जानकारी मिलती है कि मृत्यु के बाद मृत व्यक्ति की आत्मा प्रेत बनकर यमलोक की यात्रा पर निकल पड़ती है। यात्रा के दौरान संतान द्वारा दिये गये पिण्डों से प्रेत आत्मा को शक्ति मिलती है। यमलोक पहुंचने के बाद प्रेत आत्मा को अपने कर्मों के अनुसार प्रेत योनी में ही रहना पड़ता है या फिर किसी अन्य योनी को प्राप्त होता है।
कुछ लोग अपने कर्मों से पुण्य अर्जित करके देवताओं और पितरों के लोक में स्थान प्राप्त कर लेते हैं, जहां ऐसी आत्माएं तब तक निवास करती हैं जब तक उन्हें अपना उपयुक्त शरीर नहीं मिल जाता।
शास्त्रों में बताया गया है कि चंद्रमा के ऊपर एक और लोक है जिसे पितृ लोक कहा जाता है। शास्त्रों में पितरों को देवताओं के समान पूजनीय बताया गया है। पितरों के दो रूप बताए गए हैं – दिव्य पितर और मानव पितर। पितरों का काम न्याय करना है। वे मनुष्यों और अन्य जीवों का उनके कर्मों के अनुसार न्याय करते हैं।
गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि उनके पितरों में अर्यमा नाम के पितर हैं। ऐसा कहकर श्रीकृष्ण यह स्पष्ट करते हैं कि पूर्वज भी एक ही हैं। पितरों की पूजा करने से भगवान विष्णु की ही पूजा होती है। विष्णु पुराण के अनुसार सृष्टि की रचना के समय पितर ब्रह्मा के पृष्ठ भाग से उत्पन्न हुए थे। पितरों के जन्म के बाद भगवान ब्रह्मा ने उस शरीर को त्याग दिया जिससे पितरों का जन्म हुआ था।
पितरों को जन्म देने वाला शरीर ही संध्या बना इसलिए संध्या के समय पितर शक्तिशाली होते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस लेख में हमने आपको पितर कितने प्रकार के होते हैं, पितरों के बारे में जानकारी, पितृ दोष के प्रकार और उपाय के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख पितर कितने प्रकार के होते अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।