पीपल में जल किस दिन नहीं चढ़ाना चाहिए – पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास माना जाता है। कार्तिक में पीपल के पेड़ की पूजा बहुत लाभकारी होती है लेकिन इसकी पूजा के भी कुछ नियम होते हैं। इनका पालन करने से ही लाभ मिलता है।
सनातन धर्म में पीपल को बहुत पूजनीय माना जाता है। पुराणों के अनुसार पीपल की जड़ में भगवान विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फलों में सभी देवताओं का वास होता है। चूंकि कार्तिक महीना भगवान विष्णु को समर्पित है इसलिए इसमें पीपल के पेड़ की पूजा करना बहुत फलदायी साबित होता है।
पीपल की पूजा करने से पापों, कष्टों और पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है, माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में बरकत बनी रहती है। शनिवार के दिन सुबह पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाएं। कहा जाता है कि इससे शनि की महादशी से राहत मिलती है। लेकिन क्या आप जानते है पीपल में जल किस दिन नहीं चढ़ाना चाहिए? तो आइये जानते है –
पीपल में जल किस दिन नहीं चढ़ाना चाहिए (Pipal Me Jal Kis Din Nahi Chadhana Chahiye)
पीपल में रविवार के दिन जल नहीं चढ़ाना चाहिए। सूर्योदय से पहले भी पीपल के पेड़ की पूजा न करें। ऐसा करने से घर में दरिद्रता का वास होता है। शास्त्रों के अनुसार, सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ पर देवी लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी का वास होता है। जो गरीबी का प्रतीक है।
पीपल के पेड़ की जड़ में सूर्योदय के समय तांबे या पीतल के लोटे से जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद पीपल के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करें। इससे सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भूलकर भी सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ पर जल न चढ़ाएं।
गीता के अनुसार श्रीकृष्ण ने पीपल को अपना ही स्वरूप बताया है। भगवान श्रीकृष्ण ने पीपल के वृक्ष के नीचे ही सृष्टि को गीता का ज्ञान दिया था।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस लेख में हमने आपको पीपल में जल किस दिन नहीं चढ़ाना चाहिए के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख पीपल में जल किस दिन नहीं चढ़ाना चाहिए (Pipal Me Jal Kis Din Nahi Chadhana Chahiye) अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।