No Cost EMI Meaning In Hindi: आजकल ऑनलाइन शॉपिंग में आपको कई सारे महंगे प्रोडक्ट नो-कॉस्ट ईएमआई पर मिल जाते हैं। नो-कॉस्ट ईएमआई यानी बिना ब्याज वाली किश्त।
लोग नो-कॉस्ट ईएमआई का बहुत अधिक उपयोग करते हैं, विशेष रूप से ऐसे प्रोडक्ट को खरीदने के लिए जिनकी कीमत एक बार में चुकाना मुश्किल होता है, जैसे महंगे मोबाइल, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि।
आज के इस लेख में हम आपको यह नो-कॉस्ट ईएमआई क्या है, नो-कॉस्ट ईएमआई का मतलब क्या है, यह कैसे काम करती है, और क्या वाकई में यह ग्राहकों के लिए फायदेमंद होती है के बारे में जानकारी देने वाले है। इसलिए इस लेख के अंत तक बने रहे।
तो चलिए आपका ज्यादा समय न लेते हुए आज का यह लेख नो-कॉस्ट ईएमआई क्या होती है शुरू करते है और जानते है नो-कॉस्ट ईएमआई क्या है (No-Cost EMI Kya Hai In Hindi) –
नो कॉस्ट ईएमआई का मतलब क्या होता है? (Meaning Of No-Cost EMI In Hindi)
नो कॉस्ट ईएमआई का मतलब होता है – बिना ब्याज वाली किश्त या बिना ब्याज वाली किश्तें।
जब भी आप ईएमआई पर कोई प्रोडक्ट खरीदते हैं तो आपको कोई ब्याज या प्रोसेसिंग फीस नहीं देनी होती है, जबकि सामान्य ईएमआई के तहत आपको उत्पाद की कीमत के साथ ब्याज और प्रोसेसिंग फीस का भुगतान करना होता है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप 50,000 रुपये का कोई प्रोडक्ट ईएमआई पर खरीदते हैं, तो आप इसे 5000 रुपये की 10 आसान किश्तों में चुका सकते हैं, इसमें आपको 1 रुपये भी अधिक देने की आवश्यकता नहीं है। आपको उत्पाद की कीमत के बराबर ही भुगतान करना होगा।
लेकिन आपको मासिक ईएमआई बढ़ाने या घटाने का विकल्प मिलता है। उदाहरण के लिए, 50,000 के उत्पाद की ईएमआई 10,000 की 5 किश्तों या 2500 की 20 किस्तों के रूप में जमा की जा सकती है। अब आप समझ गए होंगे कि नो कॉस्ट ईएमआई कैसे काम करती है।
वहीं अगर आप नॉर्मल ईएमआई पर कोई प्रोडक्ट लेते हैं तो आपको 50,000 के प्रोडक्ट पर 5 से 7 हजार रुपये ज्यादा देने होंगे, जो ब्याज और प्रोसेसिंग फीस है और ये आपकी मंथली ईएमआई के अंदर जुड़ जाते हैं।
ईएमआई का फुल फॉर्म क्या है? (EMI Full Form In Hindi)
ईएमआई का फुल फॉर्म है – समान मासिक किस्त (Equated Monthly Instalment) है।
नो-कॉस्ट ईएमआई क्या है? (What Is No Cost EMI In Hindi)
नो-कॉस्ट ईएमआई एक ऐसा ऑफर है, जिसमें आपको बिना ब्याज वाली किश्तों में, किसी समान की कीमत को चुकाने की सुविधा मिलती है। यानी की किस्तों में भी आपको उस वस्तु के दाम के बराबर ही कीमत चुकानी पड़ती है, कोई अतिरिक्त चार्ज या ब्याज नहीं देना होता है। ये किस्ते आपको मंथली इंस्टॉलमेंट्स के रूप में चुकानी पड़ती है।
उदाहरण के लिए, आपने 5 महीने के लिए नो-कॉस्ट ईएमआई पर 25,000 रुपये का सामान खरीदा है। तो आपको 5 महीने तक सिर्फ 5000 रुपये प्रति माह का भुगतान करना होगा। इसमें आपसे कोई इंटरेस्ट (ब्याज) नहीं लिया जाएगा। और तो और इसमें प्रोसेसिंग फीस भी नहीं लगती। इस प्रकार, ग्राहकों के लिए ये सौदा बचत और फायदे वाला समझ में आता है।
लेकिन, क्या वास्तव में आपको उस सामान को किश्तों में खरीदने पर कोई अतिरिक्त पैसा नहीं देना पड़ता है। क्योंकि वित्तीय विशेषज्ञ नो-कॉस्ट ईएमआई को ग्राहकों को बेवकूफ बनाने का एक हथकंडा और हथियार बताते हैं। तो चलिए इसके बारे में भी जान लेते है –
नो कॉस्ट ईएमआई की वास्तविकता (Reality Of No Cost EMI In Hindi)
17 सितंबर 2013 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक सर्कुलर जारी कर कहा कि शून्य प्रतिशत ब्याज जैसी कोई चीज नहीं है यानी कोई भी कर्ज (लोन) ब्याज मुक्त नहीं है।
आरबीआई के इस सर्कुलर में कहा गया है कि क्रेडिट कार्ड बकाया पर जीरो पर्सेंट ईएमआई स्कीम में ब्याज की रकम अक्सर प्रोसेसिंग फीस के रूप में वसूली जाती है। इसी तरह, कुछ बैंक उन सामानों की कीमत में इसे शामिल करके अपने लोन का ब्याज वसूल रहे हैं।
इसका मतलब यह है कि नो-कॉस्ट ईएमआई ग्राहकों को बेवकूफ बनाकर और उन्हें लुभाकर बिक्री बढ़ाने का एक तरीका है। इसके पीछे की कहानी को निम्नलिखित तर्कों से आसानी से समझा जा सकता है –
1. ग्राहक को नहीं मिलता है डिस्काउंट
ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां या स्टोर, किसी भी सामान या सेवा देने वाली कंपनी से पहले से ही पर्याप्त छूट तय कर लेते हैं। नो कॉस्ट ईएमआई पर खरीदारी करने वाले ग्राहकों को उस डिस्काउंट का फायदा नहीं मिलता है। ऐसा लगता है कि आपने आइटम को बिना ब्याज के प्राप्त कर लिया है, जबकि ब्याज के बराबर या उससे अधिक के शुल्क पहले ही लिए जा चुके होते हैं।
मसलन, एक सामान 30000 रुपए का है और उस पर 10 फीसदी का डिस्काउंट दिया जा रहा है। अगर आप इसे एक ही बार में पूरा देकर लेंगे तो यह आपको 27000 रुपए का पड़ेगा। अब अगर आप इसे नो कॉस्ट ईएमआई पर लेते हैं तो आपको यह 10 फीसदी का डिस्काउंट नहीं मिलेगा और पूरे 30 हजार रुपये के हिसाब से आपको किस्तें दी जाती हैं। कई बार यह डिस्काउंट 16 से 24 प्रतिशत के आसपास होता है, जो आपको नो कॉस्ट ईएमआई के साथ नहीं मिलता है।
2. नो कॉस्ट ईएमआई की किश्तों के साथ आती है प्रोसेसिंग फीस
नो कॉस्ट ईएमआई के तहत क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने पर आपको हर महीने प्रोसेसिंग फीस देनी होती है। यह आपकी प्रत्येक ईएमआई के साथ जुड़ी होती है। भले ही ईएमआई का ब्याज कंपनी खुद भरती है, लेकिन आपको ब्याज पर 18 फीसदी जीएसटी तो देना ही होता है। इसके अलावा बैंक सर्विस चार्ज भी वसूलते हैं। इन सबके चलते आपकी ईएमआई जो शुरुआत में बताई जाती है, क्रेडिट कार्ड बिल उससे कहीं ज्यादा आता है।
कहने को तो इन सभी चीजों की जानकारी आपको बिक्री के दस्तावेजों में दी जाती है, लेकिन हजारों बहुत छोटे अक्षरों के बीच उस जानकारी को समझना सामान्य ग्राहकों के वश में नहीं होता है। वे मोटे अक्षरों में दिख रही ईएमआई की रकम देखकर ही खरीदारी कर लेते हैं और फिर पूरी अवधि के लिए धोखाधड़ी का शिकार बने रहते हैं।
3. कीमत में ब्याज मिलाकर बना देते है ईएमआई
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि विक्रेता वस्तु की कीमत का ब्याज उसकी कीमत में ही शामिल करके आपकी किस्तें बना देता है। इस तरह आपको पता भी नहीं होता है कि उसका ब्याज पहले ही आपसे वसूला जा चुका है।
उदाहरण के लिए, आपको 7,000 रुपये प्रति माह की 10 नो कॉस्ट ईएमआई पर 70,000 रुपये का लैपटॉप मिल रहा है। हो सकता है कि उस लैपटॉप की कीमत उस विक्रेता को 65000 ही पड़ी हो। वह कीमत में ब्याज की रकम मिलाकर लैपटॉप को 50 हजार में दे देता है। इस तरह वह आपसे ब्याज का पैसा पहले ही ले चुका होता है।
नोट – वास्तव में 0% ब्याज जैसी कोई चीज नहीं होती है और नो कॉस्ट ईएमआई जैसे ऑफर ग्राहकों को लुभाने और उन्हें किसी प्रकार का सौदा करने के लिए प्रेरित करने के लिए सिर्फ एक मार्केटिंग नौटंकी है।
नो कॉस्ट ईएमआई के फायदे (Benefits Of No Cost EMI In Hindi)
नो कॉस्ट ईएमआई की कई बुराइयों को समझते हुए इसे फालतू नहीं कहा जा सकता है। नो कॉस्ट ईएमआई फायदेमंद भी है जैसे –
1. ग्राहक को पैसे चुकाने में मिलती है सुविधा
ग्राहक को किसी भी उच्च लागत वाली वस्तु को खरीदने के लिए एकमुश्त राशि खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती है। वह अपनी सुविधा के अनुसार 3 महीने से लेकर 2 साल तक की किस्तों में इसका भुगतान कर सकता है। छूट उसे नहीं मिलती, परन्तु बिना सामग्री के उसका काम अटका हुआ है तो वह तो मिल जाता है। कभी-कभी उस वस्तु के न होने का नुकसान उस छूट से अधिक हानिकारक हो सकता है जिस पर आप चूक गए थे।
जैसे अगर आप कोई बिजनेस करते हैं जिसके लिए आपको कंप्यूटर जरूरी है। कंप्यूटर न होने पर आपको रोजाना 100-200 या 500-1000 का नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। ऐसे में अगर बिना डिस्काउंट के भी आपको नो कॉस्ट ईएमआई वाला कंप्यूटर मिल जाए तो यह फायदे का सौदा ही कहा जाएगा।
2. बढ़ता है बैंकों का कारोबार, जुड़ते हैं नए ग्राहक
बैंक का फायदा यह होता है कि उसे हर महीने एक निश्चित रकम मिलने लगती है। इससे उसे अपना बिजनेस बढ़ाने में मदद मिलती है। अन्य ग्राहक भी उस बैंक के कार्ड पर छूट के बारे में जानकर उस बैंक का कार्ड रखने के लिए प्रेरित होते हैं। इससे उन्हें कुछ नए ग्राहक भी मिलते हैं। सामान या सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियां अपने द्वारा प्राप्त राशि का कुछ प्रतिशत मार्जिन के रूप में बैंकों को देती हैं। यह उनकी कुछ या पूरी छूट को भी ऑफसेट करता है।
3. कंपनियों की बढ़ती है बिक्री, होता है फायदा
बिक्री के दौरान कंपनियां ज्यादा से ज्यादा माल बेचने की कोशिश करती हैं। वे कुछ कम लाभ कमाकर भी अधिक से अधिक माल निकालना चाहती हैं। ताकि बिक्री की अधिक मात्रा से उनके मार्जिन में कमी को समायोजित किया जा सके। नो-कॉस्ट ईएमआई के जरिए उन्हें बड़ी संख्या में ग्राहक मिल जाते हैं और उनका ज्यादा सामान बेचने का मकसद पूरा हो जाता है।
नो कॉस्ट ईएमआई के नुकसान (Disadvantages Of No Cost EMI In Hindi)
कई बार लोग बिक्री या सस्ता सामान मिलने के चक्कर में इतनी बड़ी रकम की खरीदारी करे लेते हैं कि उसकी ईएमआई उन पर बोझ बन जाती है। इस बीच यदि व्यक्ति या उसके परिवार को किसी प्रकार की गंभीर बीमारी या अन्य किसी समस्या का सामना करना पड़ा हो तो, हो सकता है कि वह एक महीने या उससे अधिक समय तक ईएमआई का भुगतान करने की स्थिति में न रहे।
ऐसे में ईएमआई टूट जाती है और उन्हें भारी पेनल्टी के साथ ज्यादा ब्याज भी चुकाना पड़ता है। गौरतलब है कि क्रेडिट कार्ड का ब्याज करीब 40 फीसदी है। इस पर अलग से 18% GST लगता है। इसलिए क्रेडिट कार्ड ईएमआई के जरिए बड़ी रकम का सौदा करना सही नहीं माना जाता है।
नो कॉस्ट ईएमआई काम कैसे करती है? (How Does No Cost EMI Work In Hindi)
दरअसल, आपको बता दें कि नो-कॉस्ट ईएमआई केवल ग्राहकों को लुभाने के लिए है। जैसे साधारण ईएमआई में ब्याज लगता है, वैसे ही इसमें भी कंपनियां आपसे ब्याज वसूलती हैं। आइए आपको बताते हैं कि कंपनियां आपसे नो कॉस्ट ईएमआई पर कैसे ब्याज वसूलती हैं। आपसे ब्याज वसूलने के लिए कंपनियां दो तरीके अपनाती हैं।
पहला तरीका यह है कि यदि आप किसी उत्पाद या सेवा के लिए एकमुश्त भुगतान करते हैं, तो आपको उत्पाद या सेवा पर छूट मिलती है। वहीं, नो-कॉस्ट ईएमआई पर कोई डिस्काउंट नहीं दिया जाता है। यानी आपको उत्पाद को मूल कीमत पर खरीदना होगा।
वहीं अगर दूसरे तरीके की बात करें तो कंपनियां ईएमआई पर मिलने वाले ब्याज को प्रॉडक्ट की कीमत में शामिल कर लेती हैं।
ईएमआई पर प्रोडक्ट ले या नहीं?
विशेषज्ञ कहते हैं की – ‘कैश इज किंग’। सामान हमेशा कैश में ही खरीदें, नहीं तो कर्ज के जाल में फंस जाएंगे। नो-कॉस्ट ईएमआई के लिए आपके पास क्रेडिट कार्ड होना चाहिए। और आप जानते हैं कि क्रेडिट कार्ड पर कुछ भी मुफ्त नहीं है। बल्कि मोटा ब्याज वसूला जाता है। इसलिए जब भी आप नो-कॉस्ट ईएमआई पर सामान खरीदने का प्लान करें तो पहले सारे गणित अच्छे से समझ लें।
जीरो इंटरेस्ट ईएमआई पर क्यों नहीं करनी चाहिए खरीददारी?
अमेज़न, फ्लिपकार्ट या ICICI, SBI, Axis Bank, HDFC आदि ई-कॉमर्स वेबसाइट्स से किसी भी तरह का प्रोडक्ट खरीदने पर नो कॉस्ट ईएमआईका ऑप्शन मिलता है। इससे आप बड़ी आसानी से कीमती सामान खरीद सकते हैं। लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि अगर आप कोई प्रोडक्ट कैश में खरीदते हैं तो उस पर मिलने वाला डिस्काउंट ईएमआई के ब्याज से ज्यादा हो सकता है।
ऐसा भी हो सकता है कि ईएमआई की वजह से आप कोई ऐसा प्रोडक्ट खरीद लें जो आपके बजट से ज्यादा महंगा हो। जिससे बाद में आपको भुगतान करने में परेशानी का सामना करना पड़े। अगर आप समय पर भुगतान नहीं करते हैं तो आपको इसके लिए जुर्माना भरना होगा।
क्रेडिट कार्ड पर ईएमआई का गणित (EMI Calculation On Credit Card In Hindi)
यदि आप क्रेडिट कार्ड के माध्यम से नो कॉस्ट ईएमआई सुविधा का लाभ उठाते हैं, तो सामान के डैम के बराबर की क्रेडिट वैल्यू आपके लिमिट से घट जाती है।
उदाहरण के लिए, आपने नो कॉस्ट ईएमआई या जीरो इंटरेस्ट ईएमआई पर 55,000 रुपये में टीवी खरीदा। खरीदारी करने के बाद उस महीने का बिल तैयार किया जाएगा और अगर आपकी क्रेडिट लिमिट पहले 1 लाख रुपए थी तो उसे घटाकर 45 हजार रुपए कर दिया जाएगा। आपने इसे 11 महीने की ईएमआई पर लिया है, ऐसे में हर ईएमआई चुकाने के बाद आपकी क्रेडिट लिमिट 5-5 हजार रुपये बढ़ जाएगी।
FAQs For No-Cost EMI Kya Hoti Hai In Hindi
ईएमआई का पूरा नाम क्या है?
ईएमआई का पूरा नाम समान मासिक किस्त (Equated Monthly Instalment) है।
नो कॉस्ट ईएमआई का क्या मतलब होता है?
नो कॉस्ट ईएमआई का मतलब है – बिना ब्याज वाली किश्तें।
ईएमआई को हिंदी में क्या कहते है?
ईएमआई को हिंदी में समान मासिक किस्त कहा जाता है।
नो कॉस्ट ईएमआई का फायदा क्या है?
नो कॉस्ट ईएमआई के तहत आप बिना किसी ब्याज के ईएमआई पर प्रोडक्ट ले सकते हैं।
ईएमआई और नो कॉस्ट ईएमआई में क्या अंतर है?
जब आप नॉर्मल ईएमआई पर कोई प्रोडक्ट लेते हैं तो उस पर प्रोडक्ट की कीमत के अलावा अतिरिक्त ब्याज और प्रोसेसिंग फीस चार्ज किया जाता है, जबकि नो कॉस्ट ईएमआई के तहत आपको सिर्फ प्रोडक्ट की कीमत चुकानी होती है।
निष्कर्ष
इस लेख नो कॉस्ट ईएमआई मीनिंग इन हिंदी (No-Cost EMI Meaning In Hindi) में हमने आपको नो-कॉस्ट ईएमआई क्या है, नो-कॉस्ट ईएमआई का मतलब, नो-कॉस्ट ईएमआई के फायदे और नो-कॉस्ट ईएमआई के नुकसान क्या है के बारे में बताया है।
हमे उम्मीद है आपको यह लेख नो कॉस्ट ईएमआई क्या होती है (No-Cost EMI Meaning In Hindi) अच्छा लगा होगा। अगर आपक यह लेख अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।
इस लेख मीनिंग ऑफ़ ईएमआई इन हिंदी के अंत तक बने रहने के लिए आपका धन्यवाद। इसी तरह हमारे ब्लॉग पर आते रहे।