निर्जला व्रत कैसे करते हैं, निर्जला एकादशी का व्रत कैसे करें – Nirjala Ekadashi Vrat Kaise Kare

निर्जला व्रत कैसे करते हैं – निर्जला एकादशी व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। श्री हरि विष्णु को समर्पित निर्जला एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह सभी व्रतों में सबसे उत्तम और कठोर व्रत माना जाता है। इस व्रत में सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक बिना जल के निर्जला व्रत रखने का विधान है। व्रत टूटे नहीं और पुण्य फल प्राप्त हो इसके लिए शास्त्रों में कई नियम बताए गए हैं। शास्त्रों के अनुसार व्रत के नियम निर्जला एकादशी से एक दिन पहले दशमी से शुरू होते हैं। तो आइए जानते हैं निर्जला एकादशी का व्रत कैसे करें और निर्जला एकादशी के नियम क्या है –

निर्जला व्रत कैसे करते हैं (Nirjala Ekadashi Vrat Kaise Kare)

निर्जला एकादशी का व्रत एक दिन पहले यानी दशमी तिथि की रात से ही शुरू हो जाता है और रात में भोजन नहीं किया जाता है। निर्जला एकादशी के व्रत में सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक जल और भोजन का सेवन नहीं किया जाता है।

निर्जला एकादशी व्रत में केवल दो बार ही जल का प्रयोग किया जाता है। पहला – व्रत से पहले स्नान के लिए और दूसरा- आचमन के लिए। नहाने-धोने के अलावा पानी का प्रयोग वर्जित है। आचमन के दौरान छह मासे से ज्यादा पानी ग्रहण न करें और न ही खाना खाएं, नहीं तो व्रत टूट जाएगा।

व्रत के कठोर नियमों के कारण निर्जला एकादशी व्रत सभी एकादशियों व्रतों में सबसे कठिन होता है, इसमें भोजन के साथ जल का भी त्याग करना पड़ता है। ऐसे में द्वादशी तिथि के दिन सबसे पहले स्नान करके भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें, ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान दें और फिर जल पीकर व्रत खोलें।

निर्जला एकादशी का व्रत पानी पीकर खोलना चाहिए और फिर पूजा में चढ़ाए गए रसदार फल खाने चाहिए। इससे आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। हरि वासर में भूलकर भी एकादशी का व्रत न तोड़ें, अन्यथा आप व्रत और पूजा के फल से वंचित रह जाएंगे। द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि को हरि वासर कहा जाता है। इस अवधि में एकादशी का गुजरना अशुभ माना जाता है।

निर्जला एकादशी व्रत कैसे करें अन्य तरीके –

1) निर्जला एकादशी व्रत करने का सबसे पहला तरीका यह है कि दशमी तिथि समाप्त होने से पहले खाना-पीना बंद कर दें। इस दौरान एकादशी तिथि के दिन पानी भी नहीं पीना चाहिए। इसके बाद द्वादशी तिथि को 11 ब्राह्मणों को भोजन और मीठा जल पीकर भगवान के चरणामृत का पान कर सकते हैं।

2) अगर आप निर्जला एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं तो इस तिथि पर सूर्योदय से पहले जल ग्रहण कर सकते हैं। सूर्योदय के बाद बिना जल ग्रहण किए निर्जला एकादशी का व्रत करना चाहिए। इसके बाद द्वादशी तिथि को 11 ब्राह्मणों को जल पान कराके भगवान के चरणामृत का पान कर सकते हैं।

3) निर्जला एकादशी व्रत रखने का दूसरा तरीका यह है कि आप तिथि पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखें। सूर्यास्त के बाद ही पानी का सेवन कर सकते हैं। इस दौरान भोजन न करें।

4) निर्जला एकादशी के दिन पूजा करने तक जल आदि का सेवन न करें। इसके बाद आप 11 लोगों को जल-पान कराके पानी पी सकते हैं।

निर्जला व्रत पूजा विधि (Nirjala Vrat Puja Vidhi)

निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद पीले रंग के कपड़े पहनें। एक लकड़ी के पाटे पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और उसे पंचामृत से स्नान कराएं। फिर पीले फूल, पीले चावल और पीली मिठाई से भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके बाद एकादशी की व्रत कथा पढ़ें। व्रत कथा पढ़ने के बाद ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। अंत में श्रीहरि की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

निर्जला एकादशी के नियम (Nirjala Ekadashi Ke Niyam In Hindi Mein)

  • निर्जला एकादशी का व्रत रखने वालों को दशमी के दिन भूलकर भी मांस, प्याज, लहसुन, दाल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन किसी का अनादर नहीं करना चाहिए और न ही किसी पर गुस्सा करना चाहिए।
  • निर्जला एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को रात्रि के समय भोग-विलास से दूर रहना चाहिए और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • एकादशी व्रत के दिन किसी भी पेड़ से पत्ते तोड़ना वर्जित है।
  • इस दिन ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश मंत्र का जाप करें।
  • एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से चींटियाँ आदि सूक्ष्म जीव मर सकते हैं।
  • इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
  • निर्जला एकादशी के दिन गीता का पाठ करना चाहिए या पंडित जी से गीता पाठ सुनना चाहिए।
  • इस दिन आप अपनी क्षमता के अनुसार चीजों का दान कर सकते हैं।
  • वैष्णवों को सदैव द्वादशी मिश्रित निर्जला एकादशी का व्रत करना चाहिए।
  • इसके अलावा व्रत त्रयोदशी आने से पहले ही तोड़ देना चाहिए।
  • एकादशी करने वाले व्यक्ति को गाजर, शलजम, पत्तागोभी, पालक आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • एकादशी के बाद द्वादशी को ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज के इस लेख में हमने आपको निर्जला एकादशी व्रत कैसे करते हैं, निर्जला एकादशी का व्रत कैसे करें (Nirjala Ekadashi Vrat Kaise Kare) के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख निर्जला एकादशी व्रत कैसे किया जाता है (Nirjala Ekadashi Ka Vrat Kaise Kiya Jata Hai) अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।

Leave a Comment

You cannot copy content of this page