Nag Panchami Kab Hai 2023: सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। इस महीने में धरती बेहद खूबसूरत, हरी भरी और खूबसूरत दिखती है। नागपंचमी सावन के महीने के प्रमुख त्योहारों में से एक है, इस दिन लोग अपने घरों में नाग देवता की पूजा करते हैं और अपने परिवार की समृद्धि की कामना करते हैं। बिहार, बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान में यह त्यौहार कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है, जबकि देश के अधिकांश हिस्सों में यह त्यौहार श्रावण शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है।
सनातन धर्म के अनुसार नाग पंचमी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। स्कंद पुराण के अनुसार इस दिन नागों की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार नाग पंचमी को की जाने वाली पूजा राहु केतु और काल सर्प दोष के बुरे प्रभाव से मुक्ति दिलाती है। नाग देवता की पूजा के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा भी करनी चाहिए। इस दिन रुद्राभिषेक करना शुभ फल देता है। शास्त्रों के अनुसार नागों के दो प्रकार बताए गए हैं- दिव्य और भौम। दिव्य सर्प तक्षक और वासुकी हैं, उन्हें धरती का भार उठाने और प्रज्वलित आग की तरह सर्वोच्च महिमा के रूप में वर्णित किया गया है। यदि वे क्रोधित हो जाते हैं, तो वे पूरी सृष्टि को अपनी फुफकार और दृष्टि से भस्म कर सकते हैं। जो जमीन पर विचरण करते हैं और जिनकी दाढ़ों में बिष होता है और जो इंसानों को काटते हैं, वे अस्सी प्रकार के कहे जाते हैं।
हिंदू धर्म में देवताओं की पूजा के लिए व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। हिंदू धर्म के साथ वृक्षों, सांप और गाय की भी पूजा की जाती है। ऐसा ही एक त्योहार है नाग पंचमी। इस दिन भगवान शिव के गले के हार नागदेव की पूजा की जाती है। सावन महीने के आराध्य देवता शंभू भगवान माने जाते हैं। इसके साथ ही यह समय वर्षा ऋतु का भी होता है जिसमें माना जाता है कि भू गर्भ से निकलकर नाग भू तल स्तर पर आ जाते हैं। नाग पंचमी की पूजा नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए की जाती है ताकि वह किसी अहित का कारण न बनें। तो आइये जानते है नाग पंचमी कब है 2023 (Naga Panchami Kab Ka Hai 2023) –
नाग पंचमी कब की है 2023 (Naga Panchami Kab Ki Hai 2023)
सनातन धर्म के अनुसार नाग पंचमी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष नागों की पूजा का यह पर्व 21 अगस्त 2023, सोमवार को मनाया जाएगा। नाग पंचमी की पूजा सावन माह की पंचमी तिथि को की जाती है। रक्षाबंधन पर्व नाग पंचमी के ठीक बाद मनाया जाता है। नाग पंचमी का त्योहार विशेष रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य में प्रमुखता से मनाया जाता है।
नाग पंचमी तिथि 2023 (Naga Panchami Tithi 2023)
दिन – सोमवार, 21 अगस्त 2023
पंचमी तिथि आरम्भ – 00:20 – 21 अगस्त 2023
पंचमी तिथि समाप्त – 02:00 – 22 अगस्त 2023
नाग पंचमी मुहूर्त 2023 (Naga Panchami Muhurat 2023)
नाग पंचमी पूजा विधि (Naga Panchami Puja Vidhi)
पंचमी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत व पूजन का संकल्प लें। पूजा स्थल पर नागदेवता का चित्र लगाएं या मिट्टी से सर्प देवता बनाएं और उन्हें चौकी पर स्थापित करें। नाग देवता को हल्दी, रोली, चावल, कच्चा दूध और फूल चढ़ाएं। इसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर नाग देवता को अर्पित करें। नागपंचमी के दिन अनंत, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नाम के अष्टनागों का ध्यान करके उनकी पूजा करें। अब नाग देवता की आरती उतारे व वहां बैठकर नागपंचमी की कथा का पाठ करें। इसके बाद नाग देवता से घर में सुख, शांति और सुरक्षा की प्रार्थना करें। नागदेव की पूजा करने वाली महिलाएं नाग को अपना भाई मानती हैं और उनसे अपने परिवार की रक्षा करने का वचन लेती हैं। मान्यता है कि नागपंचमी के दिन नागों को दूध चढ़ाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही नागदेवता की पूजा करने से घर में धन आगमन के स्रोत में वृद्धि होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि नाग देव गुप्त धन की रक्षा करते हैं।
नाग पंचमी का महत्व (Nag Panchami Ka Mahtav)
नाग देवताओं की पूजा धन और समृद्धि पाने के लिए भी की जाती है। मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि नाग देवता धन की देवी लक्ष्मी की रक्षा करते हैं। इस दिन श्रिया, नाग और ब्रह्मा अर्थात शिवलिंग स्वरूप की पूजा करने से मनचाहा फल मिलता है। जिस व्यक्ति की कुण्डली में काल सर्प दोष हो उसे इस दोष से बचने के लिए नाग पंचमी का व्रत अवश्य करना चाहिए। अगर आपको सपने में अक्सर सांप दिखाई देता है या आपको सांप से ज्यादा डर लगता है तो आपको सांप की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए। नागपंचमी के दिन विशेष रूप से नाग की पूजा अवश्य करें। इससे सांपों को लेकर आपका डर दूर हो जाएगा।
नागपंचमी पूजा और नाग दोष से मुक्ति
मान्यताओं के अनुसार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को नागपंचमी के दिन भी व्रत किया जाता है। इस व्रत के बारे में गरुण पुराण में लिखा है कि व्रत करने वाले व्यक्ति को मिट्टी या आटे के सांप बनाकर उन्हें अलग-अलग रंगों से सजाकर पूजा करनी चाहिए। फूल, खीर, दूध, दीपक आदि से उनकी पूजा करें। क्योंकि नाग देवता को पंचम तिथि का स्वामी माना जाता है। पूजा के बाद भुने चने और जौ को प्रसाद के रूप में बांटें। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है उन्हें इस दिन नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से कुंडली का यह दोष समाप्त हो जाता है।
ऐसे शुरू हुई नाग पूजा
किंवदंती के अनुसार, अर्जुन के पौत्र और राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने नागों से बदला लेने और नागा वंश को नष्ट करने के लिए एक नाग यज्ञ किया, क्योंकि उनके पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक एक सांप के काटने से हुई थी। नागों की रक्षा के लिए जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने इस यज्ञ को रोका था। उन्होंने सावन के पंचमी वाले दिन यज्ञ में नागों को जलने से बचाया था। उनके जलते शरीर पर दूध की धार उसे शीतलता प्रदान की थी। साथ ही नागों ने आस्तिक से कहा कि जो कोई भी पंचमी पर मेरी पूजा करेगा, उसे कभी भी नागदंश का भय नहीं रहेगा। तभी से पंचमी के दिन नागों की पूजा शुरू हो गई। जिस दिन यह यज्ञ बंद हुआ उस दिन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी और तक्षक नाग और उसका शेष बचा वंश इस विनाश से बच गया। माना जाता है कि यहीं से (Nag Panchami) नाग पंचमी पर्व मनाने की परंपरा प्रचलित हुई। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने कालिया नाग का अहंकार तोड़ा था।
नाग पंचमी कथा (Nagpanchami Katha)
लिंग पुराण के अनुसार – लिंग पुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने जब सृष्टि की रचना के लिए घोर तपस्या की, तो एक बार वे हताश होने लगे, क्रोधवश उनके आंसू पृथ्वी पर गिर पड़े और तुरंत ही वो सर्प के रूप में उत्पन्न हो गए। इन नागों पर कोई अत्याचार न हो, इस बात को ध्यान में रखते हुए भगवान सूर्यदेव ने इन्हें पंचमी तिथि का बना दिया। तभी से पंचमी तिथि पर नागों की पूजा करने का विधान है।
भविष्य पुराण के अनुसार – भविष्य पुराण के अनुसार सावन मास की पंचमी नाग देवता को समर्पित है, इसलिए इसे नागपंचमी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान कृष्ण ने वृंदावन में नाग को हराकर लोगों की जान बचाई थी, भगवान कृष्ण ने सांप के फन पर नृत्य किया था, जिसके बाद उन्हें नथिया कहा गया। एक और है पौराणिक कथा जिसके अनुसार इस दिन सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी ने शेषनाग को अपनी कृपा से अलंकृत किया था। पृथ्वी का भार धारण करने के बाद लोग नाग देवता की पूजा करने लगे, तब से यह परंपरा चली आ रही है।
नाग पंचमी पर क्या करें
- पूजा करने वाली महिलाएं नागदेवता को अपना भाई मानते हुए नागदेवता से अपने परिवार की रक्षा का वचन देने की प्रार्थना करें। मान्यता अनुसार नागपंचमी के दिन नागों को दूध चढ़ाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है।
- नागदेवता की पूजा करने से घर में धन के स्रोत में वृद्धि होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि नागदेव (Nagdevta) गुप्त धन की रक्षा करते हैं। नागदेव की पूजा करने से आर्थिक तंगी और परिवार की वृद्धि में आने वाली बाधाओं से छुटकारा मिलता है, इसलिए इस दिन धन वृद्धि के लिए इनकी पूजा करनी चाहिए।
- गृह निर्माण, पितृदोष और परिवार की उन्नति के लिए नाग पूजा करनी चाहिए।
नाग पंचमी पर क्या न करें
- नाग पंचमी के दिन जमीन की खुदाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि धरती के अंदर सांप या नाग दोनों का निवास होता है, ऐसे में जमीन खोदने से उन्हें या उनके बिल को नुकसान पहुंच सकता है।
- नागपंचमी के दिन किसान को धरती पर हल भी नहीं चलाना चाहिए।
- लोक मान्यता के अनुसार इस दिन सूई में धागा, कैंची से या सब्जी को चाकू से नहीं काटना चाहिए।
- सांप या नाग को दूध चढ़ाएं, लेकिन पिलाइए मत। सांप देवता को दूध चढ़ता हैं, लेकिन उन्हें दूध नहीं पिलाया जाता है। जीव हत्या ना करें, किसी भी प्रकार से सांप को नुकसान नहीं पहुंचाएं।
नाग पंचमी के उपाय
- नाग पंचमी के दिन चांदी की धातु से निर्मित नाग-नागिन की जोड़ा बनाकर उसकी पूजा कर बहते जल में प्रवाहित कर दें। नागपंचमी के दिन यदि कोई सपेरा दिखे तो उसे सांप या जोड़ा पैसे देकर जंगल में छुड़वाएं। इस उपाय को करने से आपको कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाएगी।
- हो सके तो नाग पंचमी के दिन इसे किसी ऐसे शिव मंदिर में स्थापित कर दें जहां शिव (Shiv) पर कोई सर्प न हो। नाग पंचमी के दिन इस उपाय को करने से आपको नाग देवता की कृपा प्राप्त होगी।
- नाग पंचमी के दिन शिव मंदिर में चंदन से बनी 7 मौली चढ़ाएं। नाग पंचमी के दिन शिव को चंदन या चंदन का इत्र चढ़ाएं और नियमित रूप से स्वयं लगाएं। ऐसा करने से आपको भगवान शिव की कृपा भी प्राप्त होगी।
- नाग पंचमी के दिन किसी भी शिव मंदिर में सफाई जरूर करें। हो सके तो किसी प्रकार का जीर्णोद्धार आप शिव मंदिर में करवा सकते हैं या मंदिर की मरम्मत या पेंटिंग का काम भी आप करवा सकते हैं।
- नाग पंचमी के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर विजया, अर्क का फूल, धतूर का फूल, फल चढ़ाएं और दूध से रुद्राभिषेक करवाएं।
नाग पंचमी व्रत कथा (Nag Panchami Vrat Katha)
एक बार की बात है एक गाँव में एक किसान रहता था। किसान की एक बेटी और दो बेटे थे। किसान बहुत मेहनती था। अपने परिवार का पेट पालने के लिए वह खुद हल चलाता था। एक दिन हल जोतते समय किसान ने गलती से एक नागिन के अंडे को कुचल दिया और सभी अंडे नष्ट हो गए। नागिन खेत में नहीं थी। जब वह वापस लौटी, तो वह बहुत गुस्सा हुई और उसने बदला लेने का फैसला किया। कुछ ही समय बाद नागिन ने किसान के पुत्रों को डस लिया, जिससे दोनों की मौत हो गई।
नागिन किसान की बेटी को भीकाटना चाहता था। लेकिन वह घर पर नहीं थी। अगले दिन जब नागिन फिर से किसान के घर आई तो उसे देखकर बहुत आश्चर्य हुआ, क्योंकि किसान की बेटी ने नागिन के सामने एक कटोरी में दूध डाल दिया और नागिन से क्षमा माँगने लगी। किसान की बेटी के इस रवैये से नागिन बहुत खुश हुई और नागिन ने दोनों भाइयों को जीवित कर दिया। यह घटना श्रावण शुक्ल की पंचमी तिथि को घटी है, यही कारण है कि इस दिन नागों की पूजा की जाती है। नागपंचमी के बारे में आप कितना जानते हैं, एक मिनट में खुद को परखें।
एक दूसरी कथा के अनुसार – एक राजा की रानी गर्भवती थी। रानी ने जंगल से राजा से पास फल लाने की इच्छा व्यक्त की। राजा जंगल से से करैली तोड़ने लगा। तब नाग देवता वहां आए और बोले कि तुमने मेरी अनुमति के बिना करैली क्यों तोड़ी? राजा ने क्षमा मांगी पर नाग देवता ने एक न सुनी। राजा ने नाग देवता से कहा कि मैंने रानी को वचन दिया है, इसलिए वह करैली को घर ले जाना चाहता है। नागदेवता ने कहा ठीक है ले लो लेकिन बदले में तुम्हें मुझे अपना पहला बच्चा देना होगा। राजा को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। राजा ने वचन दिया और घर आ गया।
राजा ने घर आकर रानी को सारी बात बताई। रानी ने एक पुत्र व एक पुत्री को जन्म दिया। नाग कुछ ही दिनों में राजा के घर संतान लेने पहुंचा। राजा ने कहा कि पहली संतान लड़की हुई थी. लड़की के मुंडन के बाद आओ, तभी दूंगा। राजा की बात मानकर नाग वहां से चला गया। फिर नाग आया, राजा ने नाग को शादी के बाद आने को कहा। लेकिन नाग ने सोचा कि शादी के बाद बेटी पर पिता का कोई अधिकार नहीं रहता। इसलिए नाग ने लड़की को उठा ले जाने की योजना बनाई।
एक दिन नाग राजा की बेटी को उठाकर ले गया और राजा को बता दिया। जैसे ही राजा ने बेटी को ले जाने की खबर सुनी, उसी समय राजा की मृत्यु हो गई। राजा की मृत्यु का समाचार सुनकर रानी की भी मृत्यु हो गई। अब राजा का पुत्र घर में अकेला रह गया था। राजा के बेटे को उसके रिश्तेदारों ने लूट लिया और भिखारी बना दिया। राजा का बेटा भीख मांगने लगा। एक दिन जब राजा का पुत्र नाग के घर भीख माँगने पहुँचा तो उसकी बहन ने उसे पहचान लिया और फिर दोनों भाई-बहन प्रेम पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगे। तभी से यह त्योहार मनाया जाता है।