मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है – अगर आप जानना चाहते है की मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम मंदिर कितने किलोमीटर है, दिल्ली से मेहंदीपुर बालाजी कितने किलोमीटर है, तो इस लेख के अंत तक बने रहे, क्योकि इस लेख में आपको इस बारे में जानकारी मिलने वाले है। तो आइये जानते है –
मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम मंदिर कितने किलोमीटर है (Mehandipur Balaji Se Khatu Shyam Balaji)
मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम 195.8 किलोमीटर है।
जयपुर से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है इन हिंदी (Jaipur Se Khatu Shyam)
जयपुर से खाटू श्याम 111 किलोमीटर है। खाटू श्याम मंदिर तक जाने के लिए आपको सीधी ट्रेन नहीं मिलती है, आपको जयपुर पहुंचना होगा और टैक्सी या बस से खाटू श्याम जाना होगा।
दिल्ली से मेहंदीपुर बालाजी कितने किलोमीटर है (Delhi Se Mehandipur Balaji)
दिल्ली से मेहंदीपुर बालाजी 14.2 किलोमीटर है।
दिल्ली से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है (Delhi Se Khatu Shyam)
दिल्ली से खाटू श्याम लगभग 479 किलोमीटर है।
खाटू श्याम के बारे में (About Khatu Shyam In Hindi)
भीम के पौत्र बर्बरीक को खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है। क्योंकि महाभारत के समय भगवान श्रीकृष्ण ने उनका सिर मांगा था और बर्बरीक ने अपना सिर भगवान के चरणों में अर्पित कर दिया था, जिसके फलस्वरूप कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि कलयुग में तुम मेरे नाम से पुकारे जाओगे। राजस्थान के सीकर जिले में खाटू श्याम नाम के गाँव में खाटू श्याम मंदिर स्थित है।
खाटू श्याम में आपको ठहरने और खाने के लिए सभी उचित स्थान मिल जाएंगे, यहां के होटलों का किराया भी ज्यादा नहीं है, 500 रुपये में एक दिन के लिए आपको 2-3 लोगों के लिए एक कमरा आसानी से मिल जाता है। और यहां खाने के लिए 150 रुपए में अच्छी-खासी स्वादिष्ट थाली मिल जाती है।
खाटू श्याम जी की कहानी इन हिंदी (Khatu Shyam Story In Hindi)
किंवदंती के अनुसार, खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर, श्री कृष्ण ने उन्हें कलियुग में उनके नाम से पूजे जाने का वरदान दे दिया। खाटू श्याम जी को श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में पहचाना जाता है। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित श्याम बाबा के भव्य मंदिर में दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। माना जाता है कि श्याम बाबा सबके मनोरथ पुरे करते हैं।
बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। वह पांडुपुत्र भीम के पोते थे। किंवदंती के अनुसार, खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर, भगवान श्री कृष्ण जी (Shree Krishna) ने उन्हें (खाटू श्याम को) कलियुग में उनके नाम से पूजे जाने का वरदान दिया।
वनवास के समय, जब पांडव अपने जीवन बचाते हुए भटक रहे थे, तब भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ। भीम से हिडिम्बा ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम घटोखा रखा गया। बर्बरीक घटोखा का पुत्र था। ये दोनों ही अपनी वीरता और शक्तियों के लिए जाने जाते थे। जब कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध होना था तो बर्बरीक ने युद्ध देखने का निश्चय किया था। जब भगवान कृष्ण ने उनसे पूछा कि वे युद्ध में किसके पक्ष में हैं, तो उन्होंने कहा कि वे हारने वाले पक्ष की और से लड़ेंगे।
भगवान कृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे और उन्हें डर था कि यह पांडवों के लिए उलटा पड़ सकता है। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए दान मांगा। दान में, उन्होंने सिर मांगा। दान में बर्बरीक ने उन्हें सिर दे दिया, लेकिन अंत तक उन्होंने युद्ध देखने की इच्छा व्यक्त की।
श्रीकृष्ण ने इच्छा स्वीकार करते हुए सिर युद्ध स्थल पर एक पहाड़ी पर रख दिया। युद्ध के बाद पांडवों में लड़ाई होने लगी कि युद्ध में विजय का श्रेय किसे जाता है। तब बर्बरीक ने कहा कि उन्हें भगवान कृष्ण के कारण विजय मिली है। भगवान कृष्ण इस बलिदान से प्रसन्न हुए और कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दिया।
FAQs
मेहंदीपुर बालाजी कब जाना चाहिए?
अक्टूबर से मार्च के बीच मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन करने अवश्य जाना चाहिए।
खाटू श्याम किस दिन जाना चाहिए?
खाटू श्याम अगस्त से मार्च के मध्य में जाना चाहिए।
निष्कर्ष
आज इस लेख के माध्यम से हमने आपको मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम मंदिर कितने किलोमीटर है, जयपुर से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है आदि के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा, अगर आपको यह लेख खाटू श्याम मंदिर कितने किलोमीटर है अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर करे।