महिलाओं को शंख बजाना क्यों वर्जित है – शंख भगवान विष्णु को प्रिय है, इसे देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। लेकिन शंख का प्रयोग भगवान शिव की पूजा में नहीं किया जाता और न ही उन्हें शंख से जल दिया जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसका जिक्र ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है।
कहते है कि पौराणिक काल में जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से कई चीजें निकलीं, जिनमें से एक था शंख, जिसे देवी लक्ष्मी का रूप कहा जाता है। पूजा में शंख का विशेष स्थान है, शंख के बिना मां लक्ष्मी जी की पूजा अपूर्ण मानी जाती है। शंख का ज्योतिषीय महत्व भी बताया गया है, जिसकी ध्वनि से वातावरण में सकारात्मकता का संचार होता है और जीवन में खुशियां आती हैं। साथ ही शंख की ध्वनि से ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी दूर होते हैं।
लेकिन क्या आप जानते है महिलाओं को शंख बजाना क्यों वर्जित है? अगर नहीं तो आइये जानते है महिलाओं के शंख बजाने पर क्यों है मनाही –
महिलाओं को शंख बजाना क्यों वर्जित है (Mahilaon Ka Sankh Bajana Kyon Vrajit Hai)
महिलाओं के लिए शंख बजाना वर्जित नहीं है। महिलाये भी पुरुषो की तरह शंख बजा सकती है। न अगर कोई महिला गर्भवती है तो उसे शंख नहीं बजाना चाहिए। क्योंकि जब हम शंख बजाते हैं तो हमारा दबाव नाभि पर पड़ता है और अगर कोई गर्भवती महिला शंख बजाती है तो इससे उसके होने वाले बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए गर्भवती महिला को छोड़कर बाकि महिलाएं शंख बजा सकती है।
शंख बजाने के फायदे –
शंख बजाने से फेफड़ों को सबसे ज्यादा फायदा मिलता है, इससे फेफड़े मजबूत होते हैं और सांस संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। चेहरे से झुर्रियां दूर हो जाती हैं। शंख बजाने से ना सिर्फ बीमारियां दूर होती हैं बल्कि चेहरे की चमक भी बढ़ती है। अगर चेहरे पर झुर्रियों की समस्या है तो शंख बजाने से इसे दूर किया जा सकता है।
शंख बजाने से आसपास के सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा शंख बजाने वाले व्यक्ति की श्वसन संबंधी बीमारियाँ भी ठीक हो जाती हैं।
जिन लोगों को नौकरी या काम के कारण तनाव का सामना करना पड़ता है उन्हें भी शंख बजाना चाहिए। शंख बजाते समय मन से सारे विचार दूर हो जाते हैं। इससे तनाव दूर करने में सहायता मिलती है।
शंख में रखे जल का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं। यह दांतों के लिए भी फायदेमंद है, कैल्शियम, फास्फोरस और गंधक के गुणों के कारण शंख बहुत फायदेमंद होता है।
शंख से फेफड़ों की एक्सरसाइज हो जाती है। पुराणों के अनुसार अगर सांस का रोगी नियमित तौर पर शंख बजाए तो वह रोग से मुक्त हो सकता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार शंख में कई ऐसे गुण होते हैं जो घर में पाजिटिविटी लाते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस लेख में हमने आपको महिलाओं को शंख बजाना क्यों वर्जित है के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख महिलाओं को शंख बजाना क्यों वर्जित है (Mahilaon Ka Sankh Bajana Kyon Vrajit Hai) अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।