महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी – महाराणा प्रताप भारत के महान वीर सपूतों में से एक थे। वीरों के नायक महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया, जिनकी वीरता, बलिदान और त्याग की गाथाएं आज भी पूरे देश में गूंजती हैं। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को एक राजपूत राजघराने में हुआ था। पिता उदयसिंह मेवाड़ा वंश के शासक थे। महाराणा प्रताप उनके बड़े पुत्र थे। महाराणा प्रताप के तीन छोटे भाई और दो सौतेली बहनें थीं। वीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाईयां लड़ी थीं। महाराणा प्रताप ने अकबर को तीन बार युद्ध में हराया था।
कहते है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर रात बिताई, पर अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी। कहा तो यह भी जाता है की महाराणा प्रताप अपनी तलवार से दुश्मनों के एक झटके में घोड़े समेत दो टुकड़े कर देते थे। तो आइये जानते है महाराणा प्रताप की तलवार का वजन कितना था और महाराणा प्रताप की तलवार का क्या नाम था –
महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी (Maharana Pratap Ki Talwar Kitne Kilo Ki Thi)
सोशल मीडिया और इंटरनेट पर कई रिपोर्ट्स में महाराणा प्रताप के भाले के वजन को लेकर चर्चा की जाती है। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो और उनके छाती के कवच का वजन 72 किलो था। वहीं उनके भाले, कवच, ढाल और दो तलवारों का कुल वजन 208 किलो था। वहीं, कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उनका वजन 110 किलो और हाइट 7 फीट 5 इंच थी। साथ ही कई जगहों पर इस 208 किलो को 500 किलो तक भी बताया गया है और कहा गया है कि प्रताप अपने वजन से कई किलो ज्यादा वजन लेकर युद्ध के मैदान में उतरते थे।
पर सचाई क्या है?
वैसे बहुत से लोग यही जानते हैं कि महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो था। लेकिन, हकीकत कुछ और है। आपको जानकर हैरानी होगी कि उनके भाले का वजन 81 किलो नहीं बल्कि उससे काफी कम था। साथ ही यह तथ्य भी गलत तरीके से इंटरनेट पर प्रसारित किया जाता है कि महाराणा प्रताप 200 किलो से अधिक वजन लेकर घोड़े की सवारी करते थे और इतने वजन से युद्ध लड़ते थे।
इसके बारे में सही जानकारी उदयपुर में बने सिटी पैलेस संग्रहालय में उपलब्ध है। दरअसल, प्रताप के बारे में फैलाए जा रहे गलत तथ्यों को लेकर उदयपुर संग्रहालय में एक बोर्ड भी लगाया गया है, जिसमें बताया गया है कि महाराणा प्रताप के निजी हथियारों (अस्त्र शस्त्र) का कुल वजन 35 किलो है। बता दें कि महाराणा प्रताप सिर्फ 35 किलो वजन लेकर जंग के मैदान में उतरते थे और इसी 35 किलो में उनका भाला भी शामिल है। ऐसे में माना जाता है कि प्रताप के भाले का वजन करीब 17 किलो था। इसके अलावा उनका कद भी सामान्य भारतीयों की तरह 5’8″ से 5’10” के मध्य था। महाराणा प्रताप की तलवार का वजन 1.799 किलो था।
महाराणा प्रताप की तलवार का क्या नाम था इन हिंदी (Maharana Pratap Ki Talwar Ka Kya Naam Tha)
महाराणा प्रताप की तलवार और घोड़े दोनों का नाम चेतक था।
महाराणा प्रताप के बारे में (Information About Maharana Pratap In Hindi)
महाराणा प्रताप का जन्म वैशाख 19, 1462 (9 मई, 1540) को राजस्थान के मेवाड़ में हुआ था। उनकी कुल 11 पत्नियां थीं। उनके पिता का नाम उदय सिंह और माता का नाम रानी जयवंताबाई था।
महाराणा प्रताप एक राजपूत थे, उनका पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया है। उनकी कहानी शौर्य से भरी है। उनके मुख्य शत्रु मुगल थे, जो पूरे भारत पर शासन करने का सपना लेकर आए थे, लेकिन महाराणा प्रताप जैसे वीर योद्धाओं के कारण यह पूरा नहीं हो सका।
महाराणा प्रताप का बचपन का नाम कीका था। महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था, जो हल्दीघाटी के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ। यह घोड़ा महाराणा प्रताप को बहुत प्रिय था।
हल्दीघाटी का नाम हल्दीघाटी इसलिए है क्योंकि यहां की मिट्टी हल्दी की तरह पीली दिखाई देती है। अकबर चाहता था कि अन्य राजाओं की तरह महाराणा अकबर भी उसके अधीन आ जाए, लेकिन महाराणा ने निश्चय किया था वे मुगल बादशाह के आगे कभी नहीं झुकेंगे।
1576 में 18 जून को हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप और मुगलों के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में अकबर की सेना में 80000 और महाराणा प्रताप की सेना में केवल 20000 सैनिक थे, जिसमें भील जाति के लोगों ने महाराणा का पूर्ण सहयोग किया था और युद्ध में उनके साथ युद्ध कर रहे थे। अकबर की ओर से आमेर के राजा मान सिंह ने मुगलों का नेतृत्व किया। मेवाड़ के वीर सैनिक बिदा झल्ला ने अपने सेनापति से शाही छत्र लेकर और खुद को राणा होने का दावा करते हुए मैदान में घुस गए। उनके बलिदान के कारण घायल प्रताप और करीब 1,800 राजपूत युद्ध के मैदान से निकलने में कामयाब रहे।
एक बार महाराणा प्रताप सिंह का शिकार करने के लिए धनुष को जोर से खींच रहे थे, धनुष टूट गया और सीधे उनके पेट में जा लगा। चोट इतनी गंभीर थी कि महाराणा प्रताप का खून बहने लगा और वे घायल हो गए। अंततः यही उनकी मृत्यु का कारण बना।
यह भी कहा जाता है कि जब अकबर को पता चला कि महाराणा प्रताप की मृत्यु हो गई है, तो वह रो पड़ा क्योंकि वह महाराणा प्रताप को एक महान योद्धा मानता था। एक ऐसा योद्धा जो लड़ने से कभी नहीं डरता था, अपने देश के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता था।
FAQs
महाराणा प्रताप की तलवार का क्या नाम है?
महाराणा प्रताप की तलवार का नाम चेतक था।
निष्कर्ष
आज इस लेख के माध्यम से हमने आपको महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी, महाराणा प्रताप की तलवार का क्या नाम था के बारे में जानकारी मुहैया कराई है। हमे उम्मीद है आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी, अगर आपको यह जानकारी महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी अच्छी लगी है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करना न भूले।