किस दिशा में बैठ कर पढ़ना चाहिए (किस दिशा में पढ़ना चाहिए) – किस दिशा में मुंह करके पढ़ाई करनी चाहिए

किस दिशा में बैठ कर पढ़ना चाहिए – वास्तु शास्त्र में सभी दिशाओं का विशेष महत्व बताया गया है। अगर कोई वस्तु गलत दिशा में रखी जाए या गलत दिशा की ओर मुंह करके कोई काम किया जाए तो इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

वास्तु शास्त्र में किचन से लेकर बेडरूम तक हर चीज के नियम बताए गए हैं। इसमें हर कार्य और वस्तु के लिए एक दिशा निर्धारित की गई है। यदि बच्चे के अध्ययन कक्ष में वास्तु नियमों का ध्यान रखा जाए तो बच्चे को सफलता अवश्य मिलती है।

कई बार बच्चे मन लगाकर पढ़ाई करते हैं फिर भी उन्हें परीक्षा में अच्छे अंक नहीं मिल पाते। वैसे तो सफलता मेहनत करने से ही मिलती है, लेकिन पढ़ाई के लिए आपके आसपास का माहौल भी बहुत मायने रखता है। कई बार बच्चे जिस स्थान और दिशा में बैठकर पढ़ाई करते हैं वह वास्तु के अनुसार सही नहीं होती है।

दरअसल अन्य चीजों की तरह पढ़ाई का स्थान भी वास्तु के अनुसार हो तो बेहतर होता है। ऐसा माना जाता है कि बच्चों के स्टडी रूम में रखी जाने वाली चीजें, स्टडी टेबल और बैठने की सही जगह से बच्चे को सफलता मिलती है, इसलिए इसे वास्तु नियमों के अनुसार ही रखें। वहीं, अगर बच्चे सही दिशा में बैठकर पढ़ाई करें तो भी उनकी सफलता की संभावनाएं बनी रहती हैं।

बच्चों के अध्ययन कक्ष से जुड़े कुछ नियम भी बताए गए हैं। इस बात का ध्यान रखने से बच्चों को अपने लक्ष्य हासिल करने में सफलता मिलती है।

आज के इस लेख में हम आपको किस दिशा में बैठ कर पढ़ना चाहिए (किस दिशा में पढ़ना चाहिए) – किस दिशा में मुंह करके पढ़ाई करनी चाहिए आदि के बारे में जानकारी देने वाले है। तो आइये जानते है –

किस दिशा में बैठ कर पढ़ना चाहिए (किस दिशा में पढ़ना चाहिए) – Kis Disha Me Baith Kar Padhna Chahiye

सही दिशा का निर्धारण करना वास्तव में महत्वपूर्ण है। वास्तु के अनुसार कुछ निश्चित दिशाएं ही पढ़ाई के लिए अच्छी मानी जाती हैं और इन दिशाओं में बैठकर पढ़ाई करने से बच्चे को परीक्षा में अच्छे अंक मिलने की संभावना रहती है। वास्तु के अनुसार पढ़ाई के लिए सबसे अच्छी दिशा उत्तर-पूर्व है।

उत्तर-पूर्व दिशा या फिर उत्‍तर या पूर्व दिशा की तरफ बैठ कर पढ़ना चाहिए। पढ़ाई करते समय बच्चे का मुख उत्तर-पूर्व दिशा या फिर उत्‍तर या पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए।

वास्तु शास्त्र के अनुसार कॉपी किताब को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। कॉपी-किताबों के लिए कभी भी खुली रैक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कॉपी-किताब की अलमारी को कभी गंदा न होने दें। चीजों को व्यवस्थित ढंग से रखना चाहिए।

अध्ययन कक्ष में मेज और कुर्सियाँ इस प्रकार लगानी चाहिए कि कुर्सी पर बैठकर पढ़ाई करते समय बच्चे की पीठ कमरे के दरवाजे या खिड़की की ओर हो। वास्तु शास्त्र में स्टडी टेबल के आकार के बारे में भी बताया गया है। टेबल का आकार हमेशा चौकोर होना चाहिए।

किस दिशा में मुंह करके पढ़ाई करनी चाहिए (बच्चों को किस दिशा में बैठकर पढ़ना चाहिए)

वास्तु शास्त्र में उत्तर-पूर्व को पढ़ाई के लिए सर्वोत्तम दिशा माना गया है। उत्तर-पूर्व दिशा में मुंह करके पढ़ाई करनी चाहिए।

किस दिशा में मुंह करके नहीं पढ़ना चाहिए / किस दिशा में बैठ कर पढ़ना नहीं चाहिए

बच्चों को दक्षिण या दक्षिण-पूर्व दिशा में मुंह करके नहीं पढ़ना चाहिए। बच्चों का अध्ययन कक्ष कभी भी दक्षिण या दक्षिण-पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखें कि घर की सीढ़ियों के नीचे बच्चों का स्टडी रूम नहीं बनाना चाहिए। इससे उनकी पढ़ाई बाधित होती है।

इन बातों का रखे ध्यान –

स्टडी रूम में एक बात का विशेष ध्यान रखें कि टेबल पर खेलने का सामान या ऐसी चीजें न रखें, जिससे बच्चों का ध्यान भटक जाए। अध्ययन कक्ष में हमेशा ऐसी वस्तुएं रखनी चाहिए जो बच्चों को ध्यान केंद्रित करने में मदद करती हों।

स्टडी टेबल पर पिरामिड, टावर या उड़ते पक्षी फीनिक्स की तस्वीर रखनी चाहिए। ऐसा करने से बच्चों की सोचने की क्षमता का विस्तार होता है और उनकी कल्पना शक्ति भी बढ़ती है। इसके साथ ही आपको बच्चों की टेबल पर क्रिस्टल ग्लोब रखना चाहिए। ग्लोब को प्रतिदिन घुमाना चाहिए।

बच्चों के स्टडी रूम की दीवारों का रंग भी मायने रखता है। दीवारों का रंग हल्का नीला, भूरा या पीला होना चाहिए। आप दीवारों पर प्रेरणादायक महापुरुषों या महान वैज्ञानिकों की तस्वीरें भी लगा सकते हैं। ऐसा करने से प्रेरणा मिलती रहेगी। आप चाहें तो दीवारों पर छोटी-छोटी रेक बनाकर बच्चों की ट्रॉफियां आदि रख सकते हैं।

वास्तु शास्त्र के अनुसार बच्चों की अलमारी की किताबें कभी भी खुली नहीं रखनी चाहिए। अगर आपके घर में खुली अलमारियां हैं तो बच्चों की किताबों वाली अलमारी को पर्दे से ढक देना चाहिए। खुली किताबें नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती हैं। मेज पर पुस्तकें बिखरी हुई नहीं रहनी चाहिए। अध्ययन कक्ष में भूलकर भी पुरानी किताबें या कबाड़ न रखें। ऐसा करने से आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। जिसका असर बच्चों की सेहत और दिमाग दोनों पर पड़ता है।

FAQs

दक्षिण की तरफ मुंह करके पढ़ने से क्या होता है?
दक्षिण की तरफ मुंह करके पढ़ने से पढाई में बाधा आती है।

पश्चिम दिशा में मुंह करके पढ़ाई करने से क्या होता है?
यह दिशा भटगाव पैदा करती है जिससे पढ़ने में मन नहीं लगता।

पढ़ाई के लिए किस तरफ मुंह करना अच्छा है?
पढ़ाई के लिए बच्चे का मुंह उत्तर-पूर्व की तरफ होना अच्छा है।

पढ़ाई के समय कैसे बैठना चाहिए?
पढ़ाई के समय उत्तर-पूर्व की तरफ मुँह चाहिए।

पढ़ते समय मुंह किधर होना चाहिए?
पढ़ते समय मुंह उत्तर-पूर्व की तरफ होना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज के इस लेख में हमने आपको किस दिशा में बैठ कर पढ़ना चाहिए (किस दिशा में पढ़ना चाहिए) – किस दिशा में मुंह करके पढ़ाई करनी चाहिए आदि के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख किस दिशा में मुंह करके पढ़ाई करनी चाहिए (बच्चों को किस दिशा में बैठकर पढ़ना चाहिए) अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।

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