खरगोश किसका अवतार है – हर व्यक्ति अपने घर में अपनी सुविधा और पसंद के हिसाब से पशु-पक्षियों को रखता है। डॉगी को दुनिया का सबसे पालतू जानवर माना जाता है, लेकिन कई लोग अपने घरों में खरगोश भी पालते हैं।
आजकल बहुत से लोग अपने घरों में कोई न कोई जानवर रखते हैं। कुत्ते सबसे पालतू जानवरों में से हैं। वहीं कुछ लोग अपने घरों में कछुए और मछली भी पालते हैं। इसी तरह कुछ लोग खरगोश को अपने घर में रखना पसंद करते हैं। हिंदू धर्म में माना जाता है कि हर जानवर का किसी न किसी देवी या देवता से संबंध होता है। किसी भी जानवर को घर में रखने से कई तरह के संकेत मिलते हैं, जो कभी शुभ तो कभी अशुभ हो सकते हैं। इसी कड़ी में हम जानेंगे कि खरगोश किसका अवतार है, खरगोश किसका वाहन है खरगोश पालना चाहिए या नहीं, खरगोश शाकाहारी है या मांसाहारी –
खरगोश पालना चाहिए या नहीं (Ghar Mein Khargosh Palna Chahiye Ya Nahi)
खरगोश पालना चाहिए या नहीं, तो इसका जवाब है – आप खरगोश पाल सकते है या खरगोश पालना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र की मान्यता है कि खरगोश को घर में रखना शुभ होता है। इस जानवर को घर में रखने से घर की नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मकता बढ़ती है। इसके अलावा घर में खरगोश पालने से बच्चे को नजर दोष नहीं होता है। अगर बच्चा बीमार है तो वह भी धीरे-धीरे ठीक हो सकती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काले रंग का खरगोश घर में रखना सबसे अच्छा माना जाता है। यह लाभकारी होता है। ऐसा माना जाता है कि काले रंग का खरगोश रखने से परिवार के सदस्यों के जीवन में राहु का अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है।
धन के लिए काले रंग का खरगोश सबसे अच्छा माना जाता है। मान्यता है कि काले रंग का खरगोश रखने से परिवार में धन-धान्य की प्राप्ति होती है और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि सफेद रंग का खरगोश घर में रखने से घर के सदस्यों पर मां सरस्वती की कृपा बनी रहती है। सफेद रंग का खरगोश पालना विद्यार्थी वर्ग के बच्चों के लिए सर्वोत्तम होता है। इनकी पढ़ाई या नौकरी में आ रही रुकावटें जल्दी दूर होती हैं।
खरगोश एक चंचल जानवर है। इससे काफी गंदगी फैलती है। ऐसे में अगर आप अपने घर में खरगोश पाल रहे हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि उनके रहने का स्थान और आपका घर दोनों ही साफ-सुथरे होने चाहिए।
खरगोश शाकाहारी है या मांसाहारी?
खरगोश एक शाकाहारी जानवर हैं जो सिर्फ घास व सब्जियां खाते हैं। फाइबर खरगोश के शरीर के लिए बहुत जरूरी है। उनका पाचन तंत्र, रात में तेजी से काम करते हुए, बहुत सारे भोजन को पचाए बिना बाहर निकाल देता है।
खरगोश किसका अवतार है (Khargosh KIska Avtar Hai)
खरगोश किसका अवतार है इसके बारे में कोई जानकारी फिलहाल हमारे पास उपलब्ध नहीं है। लेकिन देखा जाए तो खरगोश किसी का अवतार नहीं है।
खरगोश किसका वाहन है (Khargosh KIska Vahan Hai)
खरगोश किसी का वाहन नहीं है, लेकिन एक कथा के अनुसार खरगोश को भी बनना था, शिव शंकर का वाहन, तो आइये जानते है –
बात उस समय की है, जब भगवान शिव के पास कोई वाहन नहीं था। उन्हें जंगल-पहाड़ तक पैदल ही जाना पड़ता था। एक दिन माता पार्वती ने उनसे कहा, ‘आप जगत के स्वामी हैं। क्या आपको पैदल यात्रा करना शोभा देता है?’
शिव जी मुस्कुराकर बोले – ‘देवी, हम जोगी हैं। हमें वाहन से क्या लेना-देना, क्या साधु भी कभी वाहन की सवारी करते हैं?
पार्वती जी आंखों में आंसू लिए , ‘मुझे बहुत दुख होता है जब आप नंगे पैर चलते हो, कांटों से भरे रास्ते पर, शरीर पर भस्म लगाकर, बालों की जटा बनाकर।’
शिव जी ने उन्हें बार-बार समझाया पर माता अपनी बात पर अड़ी रही। माता पार्वती ने बिना किसी सुविधा के वन में रहना स्वीकार किया लेकिन वे शिवजी के लिए सवारी चाहती थीं। अब भोले भंडारी को चिंता हुई। वाहन किसे बनाना है? उन्होंने देवताओं को बुलवाया, नारदमुनि ने अपना संदेश सभी देवताओं तक पहुँचा दिया।
सारे देवता डर गए। कहीं हमारा वाहन न मांग ले। सब देवता कोई न कोई बहाना बनाकर अपने महलों ही रहे। पार्वती जी बहुत उदास थी। शिवजी ने देखा कि कोई देवता नहीं आए है। फिर शिवजी ने एक हुंकार लगाई और जंगल के सभी जानवर पहुंच गए।
उन्होंने कहा – ‘आपकी माता चाहती हैं कि मेरे पास भी एक वाहन हो। तो बताओ, मेरा वाहन कौन बनेगा?
सारे जानवर खुशी से झूम उठे। फिर छोटा खरगोश फुदक कर आगे आएगा और शिव जी से बोला – ‘भगवान, मुझे अपना वाहन बना लीजिए, मैं बहुत मुलायम हूं।’
सब जोर से हंस पड़े। शेर ने गरजकर हुए कहा – ‘मूर्ख खरगोश, मेरे होते हुए, आगे आकर बोलने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?’ बेचारा खरगोश चुपचाप एक कोने में जाकर बैठ गया। शेर ने हाथ जोड़कर कहा, ‘प्रभु, मैं जंगल का राजा हूं, शक्ति में मेरा कोई मुकाबला नहीं कर सकता। मुझे अपनी सवारी बना ले।
इससे पहले कि वह बात पूरी करता, हाथी ने बीच में कहा – ‘इस काम के लिए मेरे सिवा कोई और अच्छा नहीं है। मैं गर्मी के मौसम में अपनी सूंड में जल भरकर महादेव को स्नान कराऊंगा।
इसी तरह सभी जानवर अपनी-अपनी दावेदारी जताने लगे। शिवजी ने सभी को शांत किया और कहा, ‘कुछ दिनों के बाद मैं सभी जानवरों से एक चीज मांगूंगा, जो मुझे लाकर देगा, वह मेरा वाहन होगा।’
नंदी बैल भी वहीं खड़ा था। उस दिन से वह चुपके से शिव-पार्वती की बातें सुनने लगा। वह भूख-प्यास की परवाह किए बिना घंटों छिपा रहता। एक दिन उसे पता चला कि भगवान शिव वर्षा ऋतु में सूखी लकड़ी माँगेंगे। उसने पहले से ही सारी तैयारी कर ली थी। बरसात का मौसम आ गया था। सारा जंगल पानी से भर चूका था। ऐसे में जब शिवजी ने सूखी लकड़ी मांगी तो सभी जानवर एक-दूसरे को घूरने लगे। बैल गया और लकड़ियों कागट्ठर ले आया।
भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए। लेकिन में वह जानते थे कि बैल ने उनकी बातें सुन ली थी। फिर भी उन्होंने नंदी बैल को अपने वाहन के रूप में चुना। सभी जानवर भोले शंकर और माता पार्वती का जय-जयकार करते हुए वापस चले गए।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने आपको खरगोश किसका अवतार है, खरगोश पालना चाहिए या नहीं, खरगोश शाकाहारी है या मांसाहारी, इसके बारे में जानकारी दी है। अगर आपको यह लेख पसंद आया है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।