Hindi Swar In Hindi Varnamala – स्वर हिन्दी व्याकरण का अभिन्न अंग हैं। जिसके बिना संपूर्ण हिंदी व्याकरण अधूरा है। स्वरों के बिना हम बोल भी नहीं सकते। इसीलिए स्वरों का ज्ञान होना बहुत ज़रूरी हो जाता है।
हिंदी स्वर संपूर्ण हिंदी भाषा का आधार है। अन्य भाषाओं की तरह हिंदी भाषा को समझने या सीखने के लिए सबसे पहले हिंदी स्वर और हिंदी व्यंजन को सीखना या समझना जरूरी है।
आज के इस लेख में हम आपको स्वर किसे कहते हैं, स्वर क्या होते हैं, स्वर की परिभाषा, स्वर के प्रकार और स्वर के उदाहरण आदि के बारे में जानकारी देने वाले है। अगर निम्नलिखित जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो इस लेख के अंत तक बने रहे ,तो आइये जाते है स्वर क्या होते हैं (Swar Kya Hote Hai) –
स्वर किसे कहते हैं (Swar Kise Kahate Hain In Hindi)
जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता के किया जा सकता है, स्वर कहलाते हैं। स्वरों का उच्चारण करते समय फेफड़ों से हवा उठती है और बिना किसी रुकावट के मुंह या नाक से बाहर निकल जाती है।
हिन्दी वर्णमाला में ग्यारह स्वर होते है, ये ग्यारह स्वर है – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ। इन ग्यारह स्वरों को मानक हिन्दी वर्णमाला में स्थान दिया गया है। अं और अ: की ध्वनियाँ स्वर नहीं, बल्कि अयोगवाह कहलाती हैं।
स्वर की परिभाषा (Swar Ki Paribhasha Hindi Mein)
जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी रूकावट और अन्य किसी वर्ण की सहायता के किया जा सकता है, वे स्वर कहलाते हैं।
स्वर स्वतंत्र होते हैं। इनके उच्चारण के दौरान भीतर से आने वाली वायु बिना रुके मुंह से बाहर निकल जाती है। इसके उच्चारण में सामान्यतः कंठ और तालु का प्रयोग होता है, जीभ और होठों का नहीं। हिन्दी में स्वर वर्णों की संख्या ग्यारह है। ये ग्यारह स्वर है – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
स्वर के प्रकार (Swar Ke Prakar Hindi Mein)
स्वर मुख्यत तीन प्रकार के होते है –
- ह्रस्व स्वर
- दीर्घ स्वर
- सयुक्त स्वर
1) हृस्व स्वर
जिन वर्णों के उच्चारण में कम समय लगता है, उन्हें हृस्व स्वर कहते हैं। हिंदी में चार हृस्व स्वर हैं – अ, इ, उ, ऋ। इन्हें लघु, मूल या एकमात्रिक स्वर भी कहा जाता है।
हृस्व स्वर के उच्चारण में कम समय लगने का मुख्य कारण मात्रा है। हृस्व स्वरों के उदाहरण अ, इ, उ, ऋ हैं। इन वर्णों की एक ही मात्रा होती है। इसलिए, इन्हे दो मात्रा वाले स्वरों के उच्चारण की तुलना में कम समय लगता है। बता दें कि एक मात्रा वाले स्वर ही हृस्व स्वर कहलाते है।
2) गुरु या दीर्घ स्वर
जिन वर्णों के उच्चारण में हृस्व स्वरों से दोगुना समय लगता है, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। हिंदी में दीर्घ स्वर हैं – आ, ई, ऊ, ए, ए, ओ, औ। हिंदी में दीर्घ स्वर सात हैं। इन्हें संधि और द्विमात्रिक स्वर भी कहा जाता है।
जैसा कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि हृस्व स्वर में केवल एक ही मात्रा होती है।परन्तु दीर्घ स्वर में एक के स्थान पर दो मात्राएँ होती हैं। दो मात्राएँ होने के कारण इनके उच्चारण में हृस्व स्वर की तुलना में अधिक समय लगता है।
उदाहरण – अ + अ = आ, इ + इ = ई, उ + उ = ऊ
उदाहरण में देखा जा सकता है कि ये 2 शब्दों से मिलकर बने हैं इसलिए इनकी दो मात्राएँ हैं। परिणामस्वरूप, उनके उच्चारण में ह्रस्व स्वरों की तुलना में दोगुना समय लगता है।
3) प्लुत स्वर
जिन वर्णों के उच्चारण में दीर्घ स्वर से दोगुना या दीर्घ स्वर से तीन गुना अधिक समय लगता है, उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं।
प्लुत स्वरों का उच्चारण ह्रस्व स्वरों से तीन गुना अधिक होता है। क्योंकि इसकी तीन मात्राएँ होती हैं। वही प्लुत स्वरों का उच्चारण दीर्घ स्वरों की तुलना में दोगुना होता है।
प्लुत स्वर का सर्वोत्तम उदाहरण ‘ओउम्’ शब्द है। आप देख सकते हैं कि ओम शब्द में कुल तीन मात्राएँ शामिल हैं। सामान्यतः हिन्दी भाषा में तीन मात्राओं के अक्षरों का प्रयोग नहीं किया जाता है। परन्तु वैदिक भाषा में तीन खण्डों के शब्दों का प्रयोग होता है।
प्लुत स्वर के उदाहरण – राऽऽम, हेलो सुनोऽऽ, आदि।
FAQs
11 स्वर कौन कौन से हैं?
11 स्वर है – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
स्वर क्या होते हैं?
जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता के किया जा सकता है, स्वर कहलाते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस लेख में हमने आपको स्वर क्या होते हैं, स्वर किसे कहते हैं, स्वर की परिभाषा, और स्वर के प्रकार के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख हिंदी स्वर इन हिंदी वर्णमाला (Swar In Hindi Varnamala ) अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।