इन दो चीजों की रक्षा से ही संवरेगा आपका भविष्य

चाणक्य ने एक श्लोक के जरिए बताया है कि अगर जीवन को आर्थिक, मानसिक तौर पर सुरक्षित रखना है तो किन चीजों का पालन करना चाहिए। 

धन और धर्म की रक्षा से संवरेगा भविष्य। धन से धर्म की रक्षा होती है।

चाणक्य कहते हैं धन के बिना धर्म का कोई कार्य नहीं हो सकता है। 

धर्म ही इस संसार में सब कुछ है, सार है, इसलिए धर्म की रक्षा करनी चाहिए। 

वहीं धन की रक्षा के लिए अपनी कमाई को खर्च करना जरुरी है। 

खर्च से अर्थ है दान-धर्म के कामों में खर्चा, इनवेस्टमेंट ताकि भविष्य संवर सके। 

जिस तरह धर्म के काम में धन का उपयोग करने पर कभी न खत्म होने वाला सुख मिलता है। 

उसी प्रकार मुश्किल समय के लिए धन की बचत इनवेस्टमेंट के तौर पर की जाती है ताकि बुरे वक्त में किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े। 

आचार्य चाणक्य के अनुसार धर्म की रक्षा धर्म की रक्षा धन से की जाती है, योग से विद्या को सुरक्षित और अपनाया जा सकता है, कोमलता से राजा, शासन-प्रशासन बेहतर रहता है और घर-परिवार की रक्षा स्त्री सही ढंग से करती है।