चाणक्य कहते हैं कि स्त्रियों को शादी के बाद अपने ससुराल की बुराई और मायके, साथ ही मायके के राज ससुराल में नहीं बताने चाहिए।
इन बातों का जिक्र पति से भी नहीं करें। इससे दोनों परिवार के बीच मतभेद की स्थिति बन सकती है।
इसका बुरा असर पति-पत्नी के रिश्तों पर भी पड़ता है और वैवाहिक जीवन में खटास आ जाती है।
दान का फल तभी मिलता है जब एक हाथ से दिए दान का दूसरे हाथ को पता भी न चले।
कहने का अर्थ है दान का कभी गुणगान न करें, इससे उसका प्रभाव खत्म हो जाता है।
ऐसे में पत्नी अगर दान करे तो पति से इस बात का जिक्र न करें।
चाणक्य के अनुसार पत्नी को पति या खुद की कमाई का कुछ हिस्सा बचत के तौर पर संभाल कर रखना चाहिए।
और इसका जिक्र पति से भी न करें। ये पैसा परिवार की मुश्किल घड़ी में काम आता है।
अगर ऐसा नहीं करेंगी तो सेविंग्स किसी भी कारण से खर्च हो सकती है।