दुश्मन से भी ज्यादा घातक होते हैं ऐसे लोग, कभी न करें विश्वास

 चाणक्य ने इस श्लोक में बताया है कि जन्म से अंधा व्यक्ति के लिए अंधकार के अलावा कुछ नहीं दिखता उसकी प्रकार क्रोध, अंहकार, स्वार्थ, काम और नशे की बुरी आदतों में लिप्त व्यक्ति को इसके सिवा कुछ नजर नहीं आता। 

चाणक्य के अनुसार एक स्वार्थी व्यक्ति अपने हित को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। फिर चाहे इसके लिए उसे अपनों के प्यार, धन, मान-सम्मान की ही बलि क्यों न देनी पड़े।

स्वार्थ के मद में रहने वालों से दूर रहने में ही भलाई है, क्योंकि ये सांप और बिच्छू से भी कई ज्यादा खतरनाक होते हैं। 

सांप तो सामने से वार करता है लेकिन स्वार्थी इंसान पीठ पीछे छुरा घोंपते है। इनका साथ आपके जी का जंजाल बन सकता है। 

क्रोधी इंसान के सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है। उसके स्वभाव के कारण वह खुद के साथ दूसरों को भी नुकसान पहुंचा सकता है।  ऐसे लोग गुस्से की आग में हाथापाई पर उतर आते हैं। 

 चाणक्य कहते हैं कि जब इंसान क्रोध में अपनी मर्यादा भूल जाए तो वह दुश्मन से भी ज्यादा हानिकारक बन जाता है। 

चाणक्य नीति कहती है कि मन में कपट रखने वाला व्यक्ति कभी किसी का सगा नहीं होता, क्योंकि वह दूसरों की तरक्की देखकर जलता है। 

खुद की असफलता से ज्यादा उन्हें दूसरों की सफलता से दिक्कत होती है। ऐसे में वह समाज में आपके मान-सम्मान को गिराने का हर संभव प्रयास करते हैं। 

ये लोग सामने रहकर हमेशा आपकी पीठ थपथपाएंगे और पीठ पीछे आपका मजाक उड़ाएंगे। 

अगर कोई इंसान आपको भेदभाव करने का पाठ पढ़ा रहा है तो ऐसे लोगों की संगत में रहने से बचना चाहिए। ये लोग अपनी बुद्धि और अनुभवों से आपको दुनिया दिखाने का प्रयास करते हैं।