किसी भी इंसान के लिए मृत्यु से भी कष्टदायी है ऐसी स्थिति

मृत्यु से भी कष्टदायी है तिरस्कार - आचार्य चाणक्य कहते हैं मृत्यु को अपमान से बेहतर माना है। 

वह कहते हैं कि मौत केवल पल भर का दुख देती है लेकिन जिल्लत की जिंदगी लोगों को तिल-तिल मारती है। इंसान हर दिन अंदर ही अंदर खोखला बनता चला जाता है। 

इस कथन से चाणक्य ने बताया है कि अपने जो अपने सम्मान से समझौता करते उन्हें आए दिन अपमानित होने पड़ता है। 

लोग भी उस इंसान को नापसंद करने लगते हैं यहां तक कि अपने साथ छोड़ जाते हैं। 

अपमान का ऐसे लें बदला - चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई शख्स अपमान करें तो उसे एक बार सहना समझदारी है। 

दूसरी बार हुए अपमान को सहन करना उस शख्स के महान होने का परिचय देता है, लेकिन अगर तीसरी बार भी बेइज्जती सहनी पड़े तो ये व्यक्ति की मूर्खता कहलाती है। 

जब कोई आपका अपमान करे तो उसे उसकी भाषा में जवाब न दें क्योंकि विरोधी आपके हर वार के लिए तैयार रहता है। 

चाणक्य कहते हैं कि बेइज्जती का बदला लेना हो तो दुश्मन के सामने आपकी एक मुस्कुराहट की आपका सबसे बड़ा हथियार है। 

मुस्कुराहट के जरिए आप बिना हाथ लगाए उसे गहरी चोट पहुंचा सकते हैं।