नीति शास्त्र में धन, दुख, सुख, स्वभाव, शिक्षा, जीवन, व्यापार, माता-पिता, दोस्त व परिवार आदि से जुड़ी बातों को बताया है।
कहा जाता है कि चाणक्य की बताई गई नीतियों का पालन करना कठिन है लेकिन जिसने भी इन नीतियों को अपना लिया उसे असफलता का कम ही सामना करना पड़ता है।
चाणक्य नीति ने एक श्लोक के माध्यम से बताया है कि आखिर व्यक्ति के स्वभाव में किन चीजों का होना जरूरी है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर किसी धर्म में दया का भाव न हो तो उसे अति शीघ्र त्यागह देना चाहिए।
इसके साथ ही व्यक्ति को विद्याहीन गुरु, क्रोधी और स्नेहहीन स्वभाव के प्रियजनों को त्याग देना चाहिए।
इसके पीछे का कारण है कि दया भाव न होने से व्यक्ति का विनाश होता है। इसके साथ ही परिवार के सदस्यों में प्रेम न होने से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
चाणक्य कहते हैं कि जिस तरह से सोने का परीक्षण घिसकर, काटकर, पीटकर और तपाकर किया जाता है। ठीक इसी तरह से व्यक्ति की परीक्षा उसके त्यागशील गुण और कर्म भाव से होती है।
चाणक्य कहते हैं कि जिस तरह असली सोने को अपनी प्रमाणिकता के लिए कई जांच से गुजरना पड़ता है। ठीक उसी तरह से अच्छे व्यक्ति को स्वभाव और त्याग के प्रभाव से पहचाना जाता है।
इसलिए व्यक्ति के स्वभाव में दयालुता और मधुरता का भाव होना जरूरी है।