इन 2 चीजों की कमी होने पर कभी न हो दुखी, हमेशा मिलेगा डबल फायदा

प्रशंसा में कमी - चाणक्य कहते हैं कि अगर आपने पूरे परिश्रम और ईमानदारी से जीत हासिल की है लेकिन उसके बाद भी आपको वो दर्जा या तारीफ न मिले जिसके आप हकदार थे तो इस बात पर दुखी न हो। 

काम के संदर्भ में समझें तो अगर अपने कार्यस्थल पर आपने पूरी लगन और ईमानदार रहकर अपने काम को पूरा किया हो लेकिन उसके बाद भी आपको वो मान-सम्मान और तरक्की न मिले तो परेशान न हो। 

 हालांकि एक पल के लिए आप दुखी होंगे लेकिन भविष्य में यही मेहनत आपको ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी। 

जिस तरह जल में मिला तेल अपने अस्तित्व की तलाश कर ही लेता है उसी प्रकार एक उदार, सौम्य, मेहनती, सच्चे और अच्छे व्यवहार वाला व्यक्ति दुनिया में अपनी अलग पहचान बना ही लेता है। 

सुपात्र दान - दान ही सबसे बड़ा धर्म है।

हर व्यक्ति अपनी क्षमता अनुसार दान करता है, ऐसे में जितना हो सके दान करें लेकिन सच्चे मन से। 

दान का अर्थ है देने में आनंद, जो बिना किसी स्वार्थ के लिए किया हो

 यह सोचकर कभी दुखी न हो कि आप में थोड़ा ही दान करने की क्षमता है क्योंकि नि:स्वार्थ भावना से अगर एक मुठ्ठी अन्न भी दान किया जाए तो वह हजारों गुना दान के बराबर ही पुण्य देता है। 

दान करने के बाद बदले में कुछ पाने की इच्छा न रखें।