इन पांच स्थानों पर रहना है नर्क के समान

जिस स्थान पर आजीविका या नौकरी ना मिले, लोगों में डर या लज्जा न हो। उदारता तथा दान देने की प्रवृत्ति ना हो ऐसे किसी भी पांच स्थान पर रहना मनुष्य के लिए उचित नहीं है।

चाणक्य नीति में आचार्य ने बताया है कि व्यक्ति को किन पांच स्थानों पर नहीं रहना चाहिए।

सबसे पहले उन्होंने बताया है कि जिस स्थान पर आजीविका या नौकरी ना मिले वह स्थान रहने के लिए उचित नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां धन अर्जित करने का कोई साधन नहीं है

इसके साथ जहां लोगों को भय और लज्जा ना हो वहां भी रहना एक सज्जन व्यक्ति के लिए उचित नहीं है। क्योंकि इन परिस्थितियों में वह अपने परिवार और स्वयं को भी इसी प्रवृत्ति में ढकेलता हुआ चला जाएगा।

आगे आचार्य चाणक्य बता रहें हैं कि जहां पर उदार और दान देने की प्रवृत्ति लोगों में ना हो वह स्थान भी एक मनुष्य के लिए नर्क के समान है।

ऐसा इसलिए क्योंकि विपत्ति के समय आपकी मदद करने के लिए कोई आगे नहीं आएगा।

इसलिए किसी भी स्थान पर निवास करने से पहले इन सभी बिंदुओं को ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है।