संतोष - आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कुत्ता कितना ही भूखा क्यों न हो, उसे जितना मिल जाए, उसी में सन्तोष कर लेता है। साथ ही उसे जितना खिला दो, वह सब खा जाता है।
वह कभी नहीं कहता कि उसे कुछ अलग खाना है या फिर अगर आपने उसे पसंदीदा खाना नहीं दिया तो वह खाना नहीं खाएगा।
इसलिए इंसान किसी भी चीज में संतोष होने का गुण कुत्ते से सीख सकता है।
सतर्कता - आचार्य चाणक्य कुत्ते के गुणों का बखान करते हुए कहते हैं कि कुत्ते को थोड़ी ही देर में गहरी नींद आ जाती है।
लेकिन जरा सी भी आहट आते ही वह तुरंत उठ खड़ा होता है और सतर्क हो जाता है।
उसी तरह इंसान सतर्क होने का गुण कुत्ते से सीख सकता है।
वफादारी - आचार्य चाणक्य कुत्ते के वफादारी के गुण के बारे में कहते हैं कि मालिक के साथ वफादारी कुत्ते का स्वभाव होता है। इसलिए इंसान वफादारी का गुण कुत्ते से सीख सकता है।