इस हालात में मनुष्य कहलाता है कायर

धैर्य इंसान का सर्वश्रेष्ठ गुण माना जाता है  ये कठिन परिस्थिति में व्यक्ति को ताकत देता है। 

 बुरे वक्त से निकलने की शक्ति प्रदान करता है, लेकिन अगर धैर्य जरूरत से ज्यादा हो जाए तो व्यक्ति कायर कहलाने लग जाता है। 

चाणक्य कहते हैं कि सब्र की भी अपनी सीमा है। कुछ लोगों की सहन शक्ति जबरदस्त होती है। वो हर मामले को शांति से सुलझाना पसंद करते हैं। 

शालीनता से हर पहलू को देखते जो कि एक हद तक सही भी है, लेकिन जहां जरूरत हो वहां अपने स्वभाव में बदलाव लाना बहुत जरूरी है। 

सब्र कई मामलों में व्यक्ति की कमजोरी बन जाता है जिससे सामने वाला आपका फायदा उठा सकता है, क्योंकि वो आपका स्वभाव बखूबी जानता है। 

चाणक्य कहते हैं कि अपने स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं करना चाहिए। यहां धैर्य दिखना व्यक्ति की मान-सम्मान को ठेस पहुंचाता है और इससे उसकी छवि खराब होती है। 

वहीं रिश्तों के मामले में कुछ ऐसे मौके भी आथे हैं जब व्यक्ति का बोलना, विचार सबके समक्ष रखना बहुत जरूरी है। 

अगर आपके रिएक्ट करने से फक्र पड़ता है तो ऐसी परिस्थिति में चुप न रहे। यहां धैर्य दिखाने वाला व्यक्ति कायर कहलाने लगता है।