ग्रहण के समय भगवान (चंद्र या सूर्य) राहु से पीड़ित होते हैं। जिससे भगवान कष्ट में रहते हैं। ऐसे समय जब कोई भक्त पूजा करता है तो उससे भगवान को बल मिलता है और उनका कष्ट कम हो जाता है।
जब आप ग्रहण के समय पूजा करते हैं। जिससे भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं। वहीं ग्रहण के बाद दान-दक्षिणा से दोष -पाप का नाश होता है।