आचार्य चाणक्य ने श्लोक के जरिए बताया है कि जिस व्यक्ति के पास ज्ञान का हथियार हो वो किसी हालात में खुद को अकेला नहीं पाता।
विद्या से बड़ा कोई मित्र नहीं। एक अकेला व्यक्ति विपरित परिस्थितियों में भी बुद्धि के बलबूते खुद को उससे बाहर निकाल लेता है।
बीमारी से छुटकारा दिलाने में औषधि ही काम आती है। एक सच्चे मित्र की भांति औषधि व्यक्ति को गंभीर रोग से निजात दिलाने में मददगार होती है।
दवा साथ नहीं होगी तो स्वस्थ होना भी मुश्किल है। मृत्यु तक दवाई पूर्ण रूप से व्यक्ति का साथ देती है। औषधि की बदोलत ही स्वास्थ बेहतर हो पाता है।
व्यक्ति को हमेशा धर्म को धन से ऊपर रखना चाहिए। धर्म न सिर्फ जीते जी बल्कि मृत्यु के बाद भी व्यक्ति का साथ निभाता है।
धर्म मनुष्य को सदा सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है. धर्म-कर्म के कार्य की वजह से मनुष्य मरने के बाद भी याद किया जाता है।